भारत-चीन सीमा विवाद : LAC पर ड्रैगन ने बढ़ाया हथियारों का जखीरा

भारत-चीन सीमा विवाद : LAC पर ड्रैगन ने बढ़ाया हथियारों का जखीरा
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बीजिंग/दिल्ली। भारत-चीन की सीमा पर जारी तनातनी के बीच एक मीडिया रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वर्ष 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी की है।

चीन के टैबलॉयड ग्लोबल टाइम्स ने सैन्य एक्सपर्ट के हवाले से बताया, 'चीनी सेना ने भारत के साथ साल 2017 में हुए डोकलाम मुद्दे के बाद टाइप 15 टैंक, जेड-20 हेलीकॉप्टर और जीजे-2 ड्रोन जैसों और हथियारों को शामिल किया। इससे ऊंचाई वाले इलाकों में होने वाले युद्ध या फिर टकराव की स्थिति में फायदा उठाया जा सके।' इन नए हथियारों की सूची की जानकारी उस समय सामने आई है जब चीन और भारत के बीच सीमा पर तनातनी चल रही है।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ चार जगहों पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। वहीं, पिछले महीने सिक्किम के नाकू ला में सीमा सैनिकों का एक और दल के बीच भिड़ंत हुई थी।

स्थानीय सैन्य कमांडरों के बीच कई दौर की वार्ता पैंगोंग त्सो के पास 5-6 मई को गश्ती दल के बीच हिंसक टकराव के साथ शुरू हुए गतिरोध को समाप्त करने में विफल रही। इसमें दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। चीन की मीडिया ने वर्तमान गतिरोध को 2017 के डोकलाम वाले मुद्दे से भी ज्यादा खराब बताया है। डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध 73 दिनों तक चला था।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि क्या नए टैंक और हेलीकॉप्टर सीमा पर तैनात किए गए हैं या नहीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि टाइप 15 टैंक और पीसीएल-181 हॉवित्जर दोनों ही एडवांस टैंक हैं। जनवरी में सैन्य अभ्यास के दौरान दक्षिण-पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के उच्च-ऊंचाई वाले पठारी क्षेत्र में प्रदर्शित किए गए थे।

वहीं, 2018 के एयर शो में चीनी वायुसेना ने जीजे -2 सशस्त्र टोही ड्रोन से पर्दा उठाया था। यह पिछले जीजे -1 की तुलना में अधिक पेलोड ले जा सकता है। रिपोर्टों में कहा गया है कि इसका उपयोग तिब्बत जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लंबी सीमा पर गश्त करने के लिए किया जा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि विशेष रूप से डिजाइन किए गए हथियारों ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चीनी सेना की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाया है।

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