2023 तक डीजल इंजनों से मुक्त हो भारत
वाराणसी/वेब डेस्क। बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) से बुधवार को मोजांबिक (अफ्रीका) के लिए रेल इंजनों को रवाना किया गया। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इंजनों को हरी झंडी दिखाने से पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये यहां मौजूद लोगों और मोजांबिक के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। बताया कि भारत में यात्री और फ्रेट ट्रेनें दिसंबर 2023 तक डीजल इंजनों से मुक्त हो जाएंगी। सभी ट्रेनें केवल विद्युत रेल इंजनों से दौड़ेंगी। भारतीय रेल ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश बनेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल की इस उपलब्धि से न केवल यात्रियों को सहूलियत होगी। बल्कि कार्बन उत्सर्जन कम होने से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम होगा। इस उपलब्धि में बनारस रेल इंजन कारखाना का अहम योगदान है। यह कारखाना पिछले तीन साल में बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रिक इंजन तैयार कर रहा है। आगे भी बरेका इसमें बराबर योगदान देता रहेगा। इसके बाद रेलमंत्री कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय व रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं सीएमडी सुनित शर्मा ने मोजांबिक भेजे जाने वाले इंजन को हरी झंडी दिखाई। मोजांबिक से परिवहन एवं संचार मंत्री जनफर अब्दुलाई भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े रहे।
Shri @PiyushGoyal flags off 3000 HP Cape Gauge Locomotive for export to Mozambiquehttps://t.co/sfuTHROkFR pic.twitter.com/YEnu9kn5Ci
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 11, 2021
मोजांबिक और भारत में कई समानताएं : रेल मंत्री ने मोजांबिक को भारत का करीबी देश बताया। कहा कि दोनों देश में कई समानताएं हैं। दोनों देश लोकतांत्रिक हैं, दोनों ही देश की खोज वास्कोडिगामा ने की। दोनों देश मेहनत से विकास के पथ पर अग्रसर हैं। मुंबई और गोवा में मोजांबिक का समुदाय रहता है।
अभी चार इंजन और भेजे जाएंगे : मोजांबिक को छह डीजल रेल इंजन और 90 स्टील के यात्री डिब्बे दिये जाने का करार हुआ है। इसके तहत बरेका की ओर से डीजल इंजन का निर्यात किया जाना है। दो इंजन तैयार किये जाने के बाद इसे मोजांबिक के लिए रवाना किया गया। फूलों से सुसज्जित इंजन को हरी झंडी दिखाते ही हर-हर महादेव का घोष गूंजा। रेलमंत्री ने इसे न केवल एक व्यावसायिक करार बताया, बल्कि मोजांबिक के साथ रिश्ते गहरे होने की भी बात कही। इस मौके पर बरेका की महाप्रबंधक अंजलि गोयल समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
11 देशों में भेजा जा चुका है रेल इंजन : बरेका अब तक 11 देशों के लिए इंजन निर्यात कर चुका है। बरेका से सर्वाधिक रेल इंजन बांग्लादेश गये हैं। बांग्लादेश से तीन बार में 10, 13 और 26 इंजनों के निर्माण का करार हुआ। इसी तरह श्रीलंका भी चार बार में क्रमश: नौ, पांच, छह और 10 इंजन भेजे गए। म्यांमार को 29, वियतनाम को 25 रेल इंजन भेजे गये हैं। इस शृंखला में तंजानिया, सुडान, अंगोला, माली, मलेशिया, सेनेगल, व मोजांबिक भी हैं। सबसे पहले बरेका ने 1975 में लोको का निर्यात तंजानिया को किया था। छह सिलेंडर वाला 1350 अश्वशक्ति का एल्को श्रेणी का 15 मीटर गेज रेल इंजन था।