तवांग में चीन की हिमाकत के बाद वायुसेना ने दिखाई ताकत, आकाश में गरजे सुखोई और राफेल
नईदिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में चीन सीमा के पास गुरुवार से भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की गर्जना सुनाई दे रही है। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को हुई झड़प से बने तनावपूर्ण माहौल के बीच सुखोई-30 और राफेल जैसे फाइटर जेट उड़ान भरकर चीन को चुनौती दे रहे हैं। पूर्वोत्तर में चीन सीमा के पास वायु सेना का यह युद्धाभ्यास 48 घंटे तक चलेगा।
पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एलएसी पर चीन पिछले कुछ महीनों से आक्रामक रुख अपना रहा है। इसी माह की शुरुआत में कई बार चीन के ड्रोन्स ने भारतीय क्षेत्र की ओर उड़ान भरने की कोशिश की है। इसी के चलते भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को चीन की हवाई घुसपैठ नाकाम करने के लिए हाल के हफ्तों में 2-3 बार उड़ान भरनी पड़ी है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में इस महीने की शुरुआत से चल रहे तनाव भरे माहौल के बीच 9 दिसंबर को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई भी इसी का नतीजा है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद से माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया है।
सुखोई-30 और राफेल जैसे फाइटर जेट आसमान में गरजे -
इस बीच गुरुवार से पूर्वोत्तर में चीन सीमा के पास भारतीय वायु सेना ने शक्ति प्रदर्शन शुरू किया है। इस युद्धाभ्यास में भारत के लड़ाकू विमान सुखोई-30 और राफेल जैसे फाइटर जेट आसमान में गरज रहे हैं। इस युद्धाभ्यास में वायु सेना के लगभग सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट भी शामिल हो रहे हैं। इस युद्धाभ्यास का मकसद पूर्वी सेक्टर में अपने ऑपरेशन और क्षमताओं का परीक्षण करना है। वायुसेना की पूर्वी कमांड के नेतृत्व में वायु सेना का ये युद्धाभ्यास उत्तर-पूर्व के तेजपुर, छाबुआ, जोरहाट और हाशिमारा एयरबेस पर हो रहा है। चारों एयरफोर्स स्टेशन के सभी वायुवीरों को सक्रिय और अलर्ट पर रखा गया है।
विमानों की गर्जना बीजिंग तक
वायु सेना की पूर्वी कमांड ही पूर्वोत्तर से सटे चीन, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी करती है। भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में युद्धाभ्यास करेंगे। भारतीय लड़ाकू विमानों की गर्जना बीजिंग तक सुनाई पड़ेगी। इस हवाई अभ्यास में लड़ाकू विमानों के अलावा अटैक हेलीकॉप्टर और कार्गो प्लेन भी शामिल हो रहे हैं, ताकि युद्धाभ्यास के साथ ही युद्ध की स्थिति के लिए अपनी तैयारियों को भी परखा जा सके। तेजपुर, छाबुआ, जोरहाट और हाशिमारा एयरबेस के सभी संसाधन इस युद्धाभ्यास में इस्तेमाल किए जाएंगे।
हालिया झड़प से कोई संबंध नहीं -
वायु सेना के विंग कमांडर आशीष मोघे ने बताया कि इस युद्ध अभ्यास की योजना भारतीय और चीनी सेनाओं के आमने-सामने आने से बहुत पहले बनाई गई थी, इसलिए इस अभ्यास का हालिया झड़प से कोई संबंध नहीं है। पूर्वी वायु कमान के नेतृत्व में यह युद्ध अभ्यास फ्रंटलाइन एयरबेस और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स में वायु सेना के चालक दल के प्रशिक्षण के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें सिर्फ फाइटर जेट्स की तैयारी नहीं देखी जाएगी बल्कि कार्गो ट्रांसपोर्टेशन, आपसी कम्यूनिकेशन, तेजी और समयबद्ध एक्शन की भी जांच की जाएगी। तभी पता चल सकेगा कि हम युद्ध की स्थिति में कितनी तेजी से तैयार हो पाते हैं।