चीन से निपटने की विशेष तैयारी, भारतीय सेना त्रिशूल,भद्र और वज्र से करेगी मुकाबला
नईदिल्ली/ वेबडेस्क। चीन से मुकाबला करने को अब भारतीय सेना के जवानों को भी उसी तरह के सनातनी पारंपरिक हथियार दिए जाएंगे, जिस तरह चीनियों ने पिछले साल गलवान घाटी के खूनी संघर्ष में और 29/30 अगस्त की रात को कैलाश रेंज में घुसपैठ की कोशिश के दौरान इस्तेमाल किया था। इन हथियारों की आपूर्ति के लिए सेना ने नोएडा की एक कंपनी से अनुबंध किया है।
चीनी सेना के जवान गैर पारंपरिक हथियार लाठी-भाले, डंडा और रॉड के जरिए युद्ध करने में माहिर होते हैं। गलवान घाटी के खूनी संघर्ष और 29/30 अगस्त की रात को कैलाश रेंज में घुसपैठ के दौरान चीनी सैनिक इसका इस्तेमाल कर चुके हैं। अभी भी तिब्बत के पठार इलाके में चीनी सैनिकों को नुकीली चीज या लाठी, डंडों से लड़ने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ऐसे भारतीय सेना भी अपने सैनिकों को इसी तरह के सनातनी पारंपरिक हथियारों से लैस करने की तैयारी कर रही है। इन हथियारों की आपूर्ति के लिए सेना ने नोएडा की कंपनी अपस्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड से अनुबंध किया है। यह कंपनी सेना को इलेक्ट्रानिक ढाल (भद्र), इलेक्ट्रानिक डंडा, बिजली वाला ग्लव्स (सैपर पंच), त्रिशूल, मेटल की लाठी (वज्र) जैसे गैर पारंपरिक हथियार मुहैया कराएगी।
ये है हथियार -
- कंपनी के अनुसार भद्र एक ख़ास तरह की ढाल है, जो जवान को पत्थर के हमले से बचाती है। इसमें बहने वाला करंट दुश्मन को जोर का झटका भी देता है।
- इसी तरह इलेक्ट्रानिक डंडा यानी वज्र 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है। बिजली वाले इस वाटरप्रूफ डंडे की मार के आगे हर तरह का दुश्मन भागता नजर आएगा।
- बिजली वाला ग्लव्स यानी सैपर पंच से दुश्मन पर वार किया जाता है जो क़रीब 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है। यह वाटरप्रूफ़ ग्लव्स शून्य से 30 के तापमान में काम करेगा।
- भगवान शिव के हथियार त्रिशूल को वैसे ही बेहद खतरनाक हथियार माना जाता है लेकिन अगर इसमें करंट बहने लगे तो ये और भी घातक हो जाता है।