क्या रॉयल्टी एक टैक्स है? SC की संवैधानिक पीठ ने दिया अहम निर्णय, जानिए क्या होगा इसका असर

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सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court Decision : CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस फैसले से असहमति व्यक्त की है।

Supreme Court Decision : नई दिल्ली। क्या खनन संचालकों द्वारा दी जाने वाली रॉयल्टी एक कर है? इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अहम निर्णय दिया है। इस पीठ में 9 जज शामिल थे। फैसला 8:1 के बहुमत से दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि, संसद के पास खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की शक्ति नहीं है। संविधान के तहत राज्यों के पास खदान और खनिज ऊपर टैक्स लगाने का अधिकार है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने 35 साल पुराने निर्णय को पलट दिया है। मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस फैसले से असहमति व्यक्त की है।

8:1 के बहुमत से, इस नौ न्यायाधीशों वाली पीठ ने फैसला सुनाया है कि खान एवं खनिज विकास अधिनियम, 1957 के तहत संसद और केंद्र सरकार द्वारा लगाई जाने वाली रॉयल्टी कर की प्रकृति की नहीं है। अब, इसकी प्रासंगिकता यह है कि, यदि रॉयल्टी एक कर है तो इसका संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची दो के तहत राज्यों की कर लगाने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन यदि यह कर नहीं है तो राज्य कर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

वकील राकेश द्विवेदी ने खनिज भूमि पर राज्यों के कर अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कहा कि, अदालत के फैसले का परिणाम यह होगा कि जिन राज्यों ने पहले से ही खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने वाले विभिन्न कर कानून बनाए हैं, वे वैध होंगे। राज्य कर वसूलने के हकदार होंगे। इसका सबसे अधिक लाभ झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और असम के साथ - साथ राजस्थान को होगा।

अदलात ने अपने फैसले में कहा कि, साल 1989 में सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया फैसला सही नहीं था। 1989 में सात जज बेंच ने फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि, खनिजों पर रॉयल्टी कर है।

जस्टिस हृषिकेश रॉय ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि, सिस्टर नागरत्ना ने अपना असहमतिपूर्ण फैसला सुनाते हुए 8 कारण बताए हैं। तब मुझे लगा कि यह 8:1 का निर्णय है। उसके पास वास्तव में 7 कारण थे, फिर उसने सोचा कि एक और कारण है। सप्ताह में 7 दिन होते हैं, उसने उन 7 दिनों में से 7 कारण ढूंढ निकाले। बहुत से लोग सोचते हैं कि न्यायाधीशों के पास बहुत सारी छुट्टियां होती हैं, लेकिन उसने एक अतिरिक्त दिन काम किया और 8 कारण निकाले।

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