दंगों की आढ़ में देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहते थे षड़यंत्रकारी
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आसिफ इकबाल कुबूला सच
नई दिल्ली। दिल्ली दंगों की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इसमें एक-एक करके चैकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। जांच की अगली कड़ी में दिल्ली दंगों के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा ने पुलिस के समक्ष कई बड़े राज उगले हैं, जिनसे पता चलता है कि दंगे अचानक नहीं हुए बल्कि इनके पीछे एक सुनियोजित साजिश थी। स्क्रिप्ट पहले लिखी जा चुकी थी, लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना तो केवल बहाना था। आसिफ ने पुलिस को बताया कि सीएए के विरोध में प्रदर्शन को आधार बनाकर लोगों को भड़काया गया, बसों और घरों को जलाया गया। इसके पीछे षड़यंत्रकारी देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता थे। आसिफ ने स्वीकार किया कि उसने खुद जामिया में बसों में आग लगाई और हिंसा भड़काई थी।
कौन है आसिफ इकबाल?
नागरिकता संशोधन कानून का विधोयक आने पर आसिफ इकबाल को लगा कि मुस्लिम विरोधी एक बड़ा एजेंडा उसके हाथ लग गया है जिसकी आड़ में वह भारत में वर्ग विशेष को इकट्ठा कर दंगे भड़का सकता है। इसके साथ ही विधेयक का विरोध करने के लिए जामिया विश्वद्यिालय के छात्रों के साथ जुड़ गया। इकबाल खुद जामिया विश्वद्यिालय का छात्र है और 2014 स्टूडेंट इस्लामिस्ट ऑर्गेनाइजेशन का सदस्य भी है।
दिल्ली दंगों पर सबसे बड़ा 'कबूलनामा'
आरोपी आसिफ इकबाल ने पुलिस को बताया कि 12 दिसंबर को वह 2500-3000 लोगों के साथ जामिया विश्वद्यिालय के द्वार नम्बर 7 पर मार्च किया। उसके बाद 13 दिसंबर को शरजील इमाम ने जहरीले भाषण देकर चक्का जाम करने की बात कहकर लोगों को उकसाया।
पहले ही लिखी जा चुकी थी दंगे की स्क्रिप्ट
आरोपी आसिफ इकबाल ने बताया कि एक योजनाबद्ध तरीक से अपने साथियों के साथ्ज्ञ वह आगे बढ़ रहा था। 15 दिसंबर को संसद तक मार्च की घोषण़ा की गई जिसे हम लोगों ने गांधी शांति मार्च का नाम दिया। जैसे ही हम लोग बाटला हाउस की ओर बढ़े कि पुलिस ने रोका, यही से बसों पर पथराव शुरू हुआ। धीरे-धीरे पूरी दिल्ली में कई स्थानों पर दंगे भड़क गए। आरोपी के मुताबिक जामिया में हुई हिंसा के बाद जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया। जिसमें कई मुस्लिम संगठन से जुड़े लड़के शामिल थ। दिल्ली से बाहर कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, उज्जैन, इंदौर, जयपुर, मंगरोल, कोटा, पटना सब्जीबाग, अररिया, समस्तीपुर, अहमदाबाद जैसी कई जगहों पर भड़काऊ भाषण देने के लिए गया। उसने कहा कि 'उमर खालिद ने ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय चक्का जाम करने के लिए कहा था। जिसके बाद मिरान हैदर, सफूरा और बाकी लोगों के साथ मिलकर चक्का जाम करवाया जिससे दंगे भड़क गए।