Hubli Riot Case: कर्नाटक सरकार ने हुबली दंगा मामला लिया वापस, BJP ने कहा- कांग्रेस वोटबैंक की राजनीति करने में माहिर
Karnataka Government withdraws Hubli Riot Case : कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता मोहम्मद आरिफ और 138 अन्य के खिलाफ आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला किया है। इन सभी के ऊपर अप्रैल 2022 में हुबली दंगों के दौरान हिंसा भड़काने का भी आरोप था। कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लेका बीजेपी ने निशाना साधा है। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति करने में माहिर रही है।
समाज के सभी वर्गों के लिए समान विचार नहीं रखती कांग्रेस
कर्नाटक सरकार द्वारा 2022 हुबली दंगा मामले को वापस लेने पर भाजपा नेता डॉ सीएन अश्वथ नारायण ने कहा कि, कांग्रेस हमेशा तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के लिए खड़ी रहती है, बार-बार उनका पर्दाफाश हुआ है। वे बहुत अनुचित रहे हैं। वे समाज के सभी वर्गों के लिए समान विचार क्यों नहीं रख सकते। वे हुबली दंगा मामले को कैसे वापस ले सकते हैं? यह वास्तव में संदिग्ध है।
भाजपा एमएलसी एन रवि कुमार ने कहा, कांग्रेस सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। यह आतंकवादियों का समर्थन कर रही है और उनके खिलाफ मामले वापस ले रही है। जबकि किसानों और छात्रों पर मामले लंबित हैं, भारत विरोधी तत्वों पर मामले वापस लिए जाएंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता मोहम्मद आरिफ और 138 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास और दंगा जैसे गंभीर आपराधिक आरोप शामिल थे, जिन्हें अब अभियोजन पक्ष, पुलिस और कानून विभाग की आपत्तियों के बावजूद हटा दिया गया है।
अक्टूबर 2023 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को इन मामलों को वापस लेने और आरोपों पर पुनर्विचार करने के लिए पत्र लिखा था। शिवकुमार की सिफारिश के बाद गृह विभाग को एफआईआर और गवाहों के बयानों सहित प्रासंगिक मामले की जानकारी एकत्र करने का काम सौंपा गया था।
सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ था हुबली दंगा
हुबली दंगे 16 अप्रैल 2022 को सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक फोटो पोस्ट किए जाने के बाद शुरू हुए थे। इसमें एक मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा दिखाया गया था। इसने मुस्लिम समुदाय के भीतर आक्रोश पैदा कर दिया, जिसके कारण पुराने हुबली पुलिस स्टेशन के बाहर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। जो धीरे-धीरे हिंसा में बदल गया। इस हिंसा में कथित तौर पर हजारों लोगों ने पुलिस पर हमला किया। इस हमले में चार पुलिस अधिकारी घायल हो गए और सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा।