जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन शुरु, पुलिस ने 200 किसान को अनुमति दी

जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन शुरु, पुलिस ने 200 किसान को अनुमति दी
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नईदिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ बीते आठ महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आंदोलन एक बार पुन: तेज कर दिया है। इसी क्रम में गुरुवार से किसान संगठनों ने जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन शुरु किया है। इस 'किसान संसद' में शामिल होने के लिए दिल्ली पुलिस ने 200 किसान को अनुमति दी है। जिसके बाद इन किसानों को कड़ी सुरक्षा घेरे में जंतर-मंतर लाया गया। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि किसान जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' लगाकर तीनों कृषि कानूनों पर अपना विरोध व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी के सांसद सदन में किसानों की आवाज उठाने में विफल हो रहे हैं। जिसके कारण किसानों को खुद का संसद लगाना पड़ रहा है। टिकैत ने मीडिया से अनुरोध करते हुए कहा कि वो किसानों की बातों को जनता और सरकार तक पहुंचाएं जिससे किसान आंदोलन को सफल बनाया जा सके।

किसानों को परेशान कर रही है सरकार -

पंजाब के दोआबा से आए किसान अमरजीत ने 'मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सिंघु बॉडर से जंतर-मंतर तक जिन बसों से किसानों को लाया गया। उन बसों में बैठे किसानों की पुलिस ने रास्ते में कई बार तलाशी ली और पूछताछ की। उन्होंने कहा कि देश के किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है। अमरजीत ने कहा कि किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने की मांग को लेकर दिल्ली आए हैं। जिसे सरकार को मान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन्हीं किसानों ने भाजपा को मजबूत किया है। इस बात को भारतीय जनता पार्टी के लोगों को समझना चाहिए। एक और युवा किसान हरेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार समाधान को लेकर कोई बात नहीं कर रही है। हरेन्द्र ने कहा कि वो लंबे समय से किसान आंदोलन से जुड़े हैं और दिल्ली के गाजीपुर बार्डर पर डटे हैं। हरेन्द्र ने कहा कि किसान सरकार के दरवाजे पर हैं और सरकार की ओर से कोई बातचीत की पहल नहीं की गई है। यह किसानों का अपमान है।

कड़ी सुरक्षा के बीच किसान पहुंचे जंतर-मंतर -

किसान संसद में शामिल होने के लिए किसानों को बसों में बैठा कर कड़ी सुरक्षा के बीच जंतर-मंतर लाया गया। सिंघु बार्डर ने जंतर-मंतर के बीच सुरक्षा कारणों का हवाला देकर किसानों की कई बार तलाशी ली गई। जिसका किसानों ने विरोध भी किया। किसान संसद में जो 200 किसान प्रतिनिधि शामिल हुए उनको संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से पहचान पत्र जारी किया गया था। सभी सदस्यों के पहचान पत्र को देखकर ही उन्हें किसान संसद में शामिल किया गया। किसान संसद शाम पांच बजे तक चलाया गया।

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