अब कटने या जलने पर तुरंत आराम देंगी स्मार्ट बैंडेज, जानिए कैसे करती है काम

अब कटने या जलने पर तुरंत आराम देंगी स्मार्ट बैंडेज, जानिए कैसे करती है काम
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Smart Bandage: दुर्घटना बताकर नहीं आती वैसे ही जब किसी को अचानक कट, घाव या जलन हो जाती है तो अगर मामूली होगी तो यह खुद-ब-घर ठीक हो जाती है लेकिन लेकिन इसके लिए बैंडेज से तुरंत इलाज करना जरूरी होता है। अगर हम थोड़ी सी भी कोताही बरतते है तो घाव सड़ने लगता है। कभी-कभी लोगों को सामान्य बैंडेज से भी परेशानी होने लगती है इसके लिए ही आज हम आपको स्मार्ट बैंडेज के बारे में बताएंगे जो आपके शरीर में स्मार्ट तरीके से तुरंत इलाज करती है।

जानिए क्या है स्मार्ट बैंडेज और इसका काम

यहां पर हम स्मार्ट बैंडेज को समझें तो, स्मार्ट-बैंडेज’ 1 तरीके से नए कांसेप्ट है जो पट्टी के रूप में माना जाता है यानी यह घाव भरने में सीधे तरीके से काम करती है। इतना ही नहीं है यह रोगी के घाव और स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी देती है बताया जा रहा है कि इससे घाव जल्दी भर पाएंगे और खर्चा भी कम होगा। स्मार्ट बैंडेज का काम तो तरीके से घाव को भरने के लिए होता है। इसमें जानें तो घाव दो तरह के होते हैं. एक एक्यूट (जल्दी भरने वाले) और दूसरे क्रोनिक (जिन्हें भरने में समय लगता है). एक्यूट घाव, जैसे सब्जी काटते हुए उंगली कट जाने वाली चोट, से इतना खतरा नहीं होता लेकिन ऐसे घाव जिन्हें ठीक होने में समय लगता है।

कैसे तैयार हुई स्मार्ट बैंडेज

यहां पर स्मार्ट बैंडेज को कैसे तैयार किया गया उस पर बात करें तो इस पर काम चल रहा है इसे Caltech में बनाया जा रहा है जो स्मार्ट बैंडेज एम्बेडेड इलेक्ट्रॉनिक्स और दवा युक्त लचीले पॉलिमर से बनी है, इन इलेक्ट्रॉनिक्स से सेंसर यूरिक एसिड या लैक्टेट जैसे अणुओं और घाव में pH लेवल या तापमान जैसी स्थितियों को मॉनिटर कर पाएगा। इस बैंडेज का फायदा डायबिटिक अल्सर जैसी बीमारियों के उपचार में ज्यादा किया जाता हैं।

कई देशों में चल रहा है काम


यहां पर स्मार्ट बैंडेज की बात करें तो इसे लेकर कई देशों में रिसर्च चल रही है। बायोमेडिकल इंजीनियर और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गुइलेर्मो अमीर ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, ‘जब हमने पहली बार पांच साल पहले इस क्षेत्र में शुरुआत की थी, तो स्मार्ट सिस्टम या स्मार्ट बैंडेज पर काम करने वाले बहुत कम लोग थे. अब केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि चीन और यूरोप में भी कई रिसर्चर इस पर काम कर रहे हैं। जल्द ही इसका फल सही मिलेगा।

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