Shardiya Navratri 2024: दुर्गा सप्तशती पाठ की चाबी होता हैं सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का जाप, जानिए सही समय
Durga Saptashati Path: शारदीय नवरात्रि का दौर जहां पर जारी हैं वहीं पर नवरात्रि का आज पांचवा दिन है, जो माता स्कंदमाता की पूजा को समर्पित माना जाता है। मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा के नियम होते है। पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना लाभदायक माना जाता है। माता की पूजा में इंसान चाहे कि पूरे 9 दिन तक कोई इस पाठ को करे तो इसके लिए काफी वक्त लगता है और बहुत लोगों के लिए काम के साथ इसका सामंजस्य बनाना मुश्किल पड़ जाता है। दुर्गा सप्तशती के पाठ की चाबी की तरह सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ होता हैं जिसका पाठ करने से लाभ मिलता है।
॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत
”श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् येन मन्त्रप्रभावेण चण्डिजाप: शुभो भवेत् न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् पाठमात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि नमस्ते शुम्भहन्त्रयै च निशुम्भासुरघातिनि जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तुते चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नम: अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धि कुरुष्व मे इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा”
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने का समय
बताते चलें कि,नवरात्र के दौरान कुंजिका स्तोत्र पाठ करना लाभदायक माना जाता है इसे ब्रम्ह मुहूर्त में करना सही है। ब्रह्म मुहूर्त की बात करें तो इसका समय सूर्य उदय से 1 घंटा 36 मिनट पहले शुरू होता है और सूर्योदय से 48 मिनट पहले खत्म हो जाता है। इस दौरान हमें स्त्रोत का पाठन करना चाहिए।