Chhath Puja 2024: कब की जाएगी छठ पूजा, नहाय-खाय से लेकर अर्घ्य को लेकर जानिए क्या होते हैं नियम

कब की जाएगी छठ पूजा, नहाय-खाय से लेकर अर्घ्य को लेकर जानिए क्या होते हैं नियम
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दिवाली के बाद यूपी बिहार में लोग आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है जिसकी शुरुआत 5 सितंबर से होकर 7 सितंबर तक पूजा आराधना रहेगी।

Chhath Puja 2024: दिवाली के बाद यूपी बिहार में लोग आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है जिसकी शुरुआत 5 सितंबर से होकर 7 सितंबर तक पूजा आराधना रहेगी। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान होता हैं जो साल में दो बार चैत और कार्तिक मास में की जाती है। छठ पूजा में नहाय - खाय से लेकर खरना और पारण के नियम होते है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।

क्यों मनाते है छठ पर्व

लोक पर्व छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा बड़े ही विधि विधान के साथ की जाती है। जिस देश नहीं केवल विदेश में भी बड़े ही भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है।मुख्यतौर पर छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है।महिलाएं यह व्रत अपने संतान की सुख शांति और लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस दौरान कार्तिक मास की छठ पूजा सबसे खास वाली जाती है। खास बात इस व्रत की है यह सबसे कठिन 36 घंटे का निर्जला व्रत होता है जिसे महिलाएं रखते है यह सबसे कठिन व्रत होता हैं।

जानिए छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

यहां पर इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार, त्रेता युग में माता सीता ने सबसे पहले छठ किया था। भगवान श्रीराम ने भगवान सूर्य नारायण की आराधना की थी। द्वापर में दानवीर कर्ण और द्रौपदी ने सूर्य की उपासना की थी। इसके अलावा छठी मैया की पूजा से जुड़ी एक कथा राजा प्रियंवद की भी है, जिन्होंने सबसे पहले छठी मैया की पूजा की थी। मान्यता है कि छठ महापर्व पर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना करती है।

चार दिनों का होता है पर्व

छठ पूजा पर्व की बात की जाए तो, छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। दूसरे दिन खरना होता है। वहीं तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण किया जाता है। यह चार दिनों का सबसे खास व्रत होता है।

क्या होता है नहाय खाय के नियम

सबसे पहले छठ पूजा में नहाय खाय के नियम होते है। इस बार पांच नवंबर यानी मंगलवार को नहाय खाय है। नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है कि इस दिन स्नान करके भोजन करने का विधान है। नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। खास बात है कि, महिलाएं भात, चना दाल और लौकी का भोजन करती है।

6 नवंबर को होगा खरना का नियम

छठ पूजा में नहाय खाय के दूसरे दिन खरना का नियम किया जाता है। जो इस बार छह नवंबर यानी बुधवार को है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर व्रत रखती हैं और पूजा के बाद खरना का प्रसाद खाकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करती है।

जानिए पूजा में अर्घ्य के नियम और तारीख

आपको बताते चलें कि, छठ पूजा में अगला नियम नदी तालाब पर किया जाता हैं जिसे अर्घ्य के नियम होते है।इस बार सात नवंबर यानी गुरुवार को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसमें बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है। छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार आठ नवंबर यानी शुक्रवार को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं।

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