महज 100 ग्राम वजन से टूटा देश की बेटी विनेश का सपना, जानें क्या है कुश्ती में वजन मापने के नियम
Paris Olympic 2024: पेरिस में ओलंपिक खेलों का आयोजन जहां पर चल रहा है वहीं पर आज का दिन भारत के लिए काफी दुखद रहा जहां करोड़ों भारतीय भारतीय रेसलर विनेश फोगाट फाइनल में गोल्ड मेडल जीतने की आज लग रहा था। वहीं मात्र 100 ग्राम वजन ने विनेश समेत भारतीयों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। आखिर क्या है ओलंपिक में कुश्ती के नियम जिनकी वजह से प्रतिभागियों को डिसक्वालीफाई या क्वालीफाई होना होता है। फाइनल के मुकाबले में गोल्ड मेडल बनाने का सपना अब कोसों दूर हो गया है वहीं पर आखिर ओलंपिक में ऐसे क्या नियम है जिसकी वजह से फोगाट पदक का सपना पूरा करने से चूक गई।
जानिए क्या होते है कुश्ती में नियम
आपको बताते चलें कि, कुश्ती प्रतियोगिता में वजन मापने की प्रक्रिया किसी भी मैच से पहले जरूरी होता है। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती नियमों के तहत हर अंतरराष्ट्रीय आयोजन के लिए इसका पालन किया जाता है. प्रतियोगिता प्रक्रिया के अनुच्छेद 11 में वजन मापने को नियंत्रित करने वाले नियमों की रूपरेखा दी गई है। इसके अनुसार यदि कोई एथलीट वजन मापने (पहला या दूसरा वजन मापने) में शामिल नहीं होता है या असफल हो जाता है, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाता है और अंतिम स्थान दे दिया जाता है।
अगर एथलीट जा वजन बढ़ता है तो क्या है नियम
आपको बताते चलें कि, अगर नियमों के मुताबिक किसी भी एथलीट्स का वजन घट या बढ़ जाता है तो इसे लेकर बदलाव होने पर यह नियम होते हैं। कोई भी बदलाव टीम लीडर द्वारा वजन-माप से एक दिन पहले दोपहर 12:00 बजे तक आयोजक को प्रस्तुत किया जाना चाहिए. ये बदलाव केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किए जा सकते हैं, जैसे कि मेडिकल सर्टिफिकेट द्वारा चोट को लेकर की गई पुष्टि . इस समय सीमा के बाद कोई भी बदलाव स्वीकार नहीं किया जाता है।
एथलीट के वजन में बदलाव होने के बाद क्या करना होता है
एथलीट के वजन में कोई भी बदलाव टीम लीडर द्वारा वजन-माप से एक दिन पहले दोपहर 12:00 बजे तक आयोजक को प्रस्तुत किया जाना चाहिए. ये बदलाव केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किए जा सकते हैं, जैसे कि मेडिकल सर्टिफिकेट द्वारा चोट को लेकर की गई पुष्टि . इस समय सीमा के बाद कोई भी बदलाव स्वीकार नहीं किया जाता है। नियम यह भी कहते हैं कि, प्रतियोगिता की पहली सुबह पहलवानों को चिकित्सा परीक्षण से गुजरना होता है. इस परीक्षण के बिना पहलवानों को वजन-मापन में भाग लेने की अनुमति नहीं होती है।