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तीन तेंदुओं ने कूनो में रोकी अफ्रीकी चीतों की आमद
श्योपुर। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीतों की बसावट को लेकर भले ही केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तैयारियां जोर-शोर के साथ की जा रही हों, लेकिन कूनो अमले की लचर व्यवस्थाओं के चलते चीतों के अभी कूनो आने पर कुछ दिनों की बढ़ोारी और हो सकती है, ऐसा इसलिए कि कूनो में चीतों के लाए जाने की व्यवस्था पर गौर किया जाए तो अभी तक स्थानीय स्तर पर हैलीपेड के निर्माण जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति तक नहीं की जा सकी है। सूत्रों की मानें तो अभी तक कूनों में हैलीपेड निर्माण के लिए स्थान तक चिन्हित नहीं हो सका है। साथ ही सबसे बड़ी परेशानी अफ्रीकी चीतों के लिए बनाए गए बाड़ों में छुपे बैठे वह तीन तेंदुए भी हैं, जो कहीं न कहीं बाड़े में छिपकर न सिर्फ कूनो उद्यान के अमले की परेशानियों का कारण बने हुए हैं, बल्कि अफ्रीकी चीतों के आने पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए बैठे हैं। जब तक तीनों तेंदुओं को बाड़ों से बाहर नहीं निकलेंगे, तब तक बाड़े में चीतों को छोडऩा खतरे से खाली नहीं है। हालांकि कूनो की टीम दिन रात तेंदुओं की तलाश में जंगल की खाक छानने में लगी हुई है, लेकिन तेंदुआ का मिलना तो दूर की बात अभी तक अमले को उनके सुराग तक हाथ नहीं लग सके हैं। जबकि टीम तेंदुआ को पकडऩे के लिए बाड़े में पिंजरे लगाने और शिकार के लिये बकरे भी बांध चुकी है, लेकिन तेंदुआ का कोई मूवमेंट अभी तक टीम को नजर नहीं आया है।
चीतों के आने की तिथि में होगा बदलाव -
कूनो उद्यान में चीतों के लिए सुरक्षित बताए जाने वाले बाड़े से तेंदुओं को नहीं निकाल पाना और उससे पूर्व बाड़े में तेंदुओं के प्रवेश पर ठीक से निगरानी नहीं रख पाना भी कूनो राष्ट्रीय उद्यान अमले के लिये एक बड़ी लापरवाही की ओर इशारा करता प्रतीत हो रहा है। चीतों के बाड़े में प्रवेश कर चुके तेंदुआ को पांच वर्ग किमी के दायरे से ढूंढकर बाहर निकालना फिलहाल तो कूनो अमले के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इनके बाहर न निकलने तक अफ्रीकी चीतों के आगामन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो ऐसी स्थिति में चीतों के आगमन को लेकर निर्धारित की गई 13 अगस्त की तिथि में बढ़री होने की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
पीसीसीएफ सहित विशेषज्ञों की टीमें कर रहीं तेदुंओं की तलाश
चीतों के लिए तैयार बाड़ों में प्रवेश कर चुके तेंदुओं ने वन्यजीव के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीमों की प्रतिष्ठा को भी दांव पर लगा रखा है। तेंदुओं की तलाश को लेकर सोमवार को वन्यजीव के प्रधान मुय वन संरक्षक जसवीर सिंह चौहान भी कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे, जिन्होंने वन अमले को तेदुओं की तलाश में सघनता और सफलता के लिये निर्देशित किया। इसके अलावा वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा भी तेंदुओं की तलाश लगातार जारी है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रथम चरण में 12 चीते लाए जाने की कार्ययोजना बनाई गई। जिसमें दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से 4 नर और 8 मादा चीतों को कूनों उद्यान में लगभग पांच वर्ग किमी के दायरे में बनाए गए आठ बाड़ों में छोड़ा जाना है। अभी तक तो चीतों के कूनो में 15 अगस्त से पहले ही लाए जाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सूत्रों के अनुसार सोमवार को कूनो राष्ट्रीन उद्यान में चीतों को आगमन को लेकर लोक निर्माण विभाग के एसडीओ, सब इंजीनियर द्वारा हैलीपेड के स्थल निर्माण के लिये तीन स्थानों का निरीक्षण किया गया है। अब ऐसे में सवाल यह है कि अभी तक कूनों में हैलीपेड निर्माण के लिये स्थल तक चयन नहीं हो सका है, ऐसे में कब हैलीपेड का निर्माण होगा? योंकि जानकारों के अनुसार हैलीपेड निर्माण में कम से कम पांच दिन की समयावधि चाहिए। ऐसे में 13 अगस्त तक चीतों का आना संभव नहीं है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की भारत में तेंदुओं की स्थिति 2018 की जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के जंगलों में तेंदुआ की संया 3500 के करीब है। वहीं कूनों के जंगल में वर्तमान में 75 तेंदुआ हैं। वहीं भारत में चीतों की बात करें तो देश में अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले (वर्तमान छाीसगढ़) में हुई थी, जो उस समय मध्य प्रदेश का हिस्सा था और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। अब चीतों के फिर से बसाए जाने की कवायद की जा रही है।