लॉकडाउन : ना लोगों को डर, ना सरकारों को फिक्र

लॉकडाउन : ना लोगों को डर, ना सरकारों को फिक्र
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दिल्ली। कोरोना के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की हालत आगे कुआं, पीछे खाई वाली हो गई है। बेरोजगार हो चुके कामगार और मजदूर कोरोना के डर से शहरों से पलायन कर रहे हैं। दुर्भाग्य ऐसा है कि ये मजदूर अपने घर नहीं पहुंच पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के औरैया में शनिवार सुबह हुआ सड़क हादसा इसी का एक नमूना है। कोरोना काल में किसी तरह अपने घर के लिए ट्रक से निकले 24 मजदूर, एक सड़क हादसे में मारे गए। इसके अलावा भी कई और हादसों में लोगों की जानें जा रही हैं। इतना सब होने के बावजूद सरकारें और प्रशासन लगभग बेसुध है। सड़कों पर ट्रकों की परमिशन मिलने के बाद से हजारों मजदूर ट्रकों से घर जा रहे हैं। इन ट्रकों के मालिक मजदूरों से मनमाना पैसा तो वसूल ही रहे हैं, उसपर भी लोगों की जान की कोई गारंटी नहीं है। एक-एक ट्रक में सौ-सौ लोग भरे जा रहे हैं। ऐसे में हादसा होने या कोरोना संक्रमण होने पर ही कई लोगों की जान पर खतरा है। पुलिस भी इन गाड़ियों को कहीं नहीं रोक रही है। कानपुर से सामने आई तस्वीरों में देखा गया है कि सड़क पर दोनों तरफ लंबा जाम लगा है।

कोरोना से बचाव के सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन काफी हद तक बचाव का तरीका है। हालांकि, प्रवासियों के ट्रकों में भरकर घर जाने से ना तो सोशल डिस्टेंसिंग बची है और ना ही लॉकडाउन का पालन हो रहा है। लगातार हादसों में जानें जा रही हैं लेकिन सरकारें तमाशा देख रही हैं। एक तरफ प्रवासियों के दूसरे राज्यों में फंसे होने की समस्या है तो दूसरी तरफ इनकाे गांवों में आ जाने से गांव में कोरोना फैलने का डर। अब लॉकडाउन का तीसरा चरण खत्म होने के साथ आशंका जताई जा रही है कि गांवों में भी कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ेंगे।

लगातार शहरों से गांव की ओर जा रहे मजदूरों से गांवों में भी कोरोना फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसके नतीजे भी सामने आने लगे हैं और मई महीने में यूपी के उन इलाकों में कोरोना के मामले सामने आए हैं, जो ग्रीन जोन थे। ऐसे में यह सच्चाई काफी हद तक डरा रही है कि आने वाले समय में कोरोना और भयावह रूप ले सकता है।

जैसे-जैसे मई महीना बीत रहा है, वैसे-वैसे धूप और गर्मी बढ़ती जा रही है। तपती धूप भी घर जाने को आतुर मजदूरों और अन्य प्रवासियों का हौसला नहीं तोड़ पा रही है। लॉकडाउन का तीसरा चरण आते-आते पुलिस और प्रशासन भी अब ढीला पड़ चुका है। सरकार की ओर से भी प्रवासियों को ले जा रही गाड़ियों को ना रोकने को कहा गया है।

सड़क पर ट्रकों, बसों और बाकी गाड़ियों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो गई है कि कानपुर-लखनऊ नैशनल हाइवे पर जबरदस्त जाम लग गया और कई किलोमीटर तक सड़क पर गाड़ियों की लंबी लाइन लग गई। ज्यादातर ट्रक और मालवाहक गाड़ियों में प्रवासी मजदूर बैठे हैं, जो किसी भी तरह बस अपने घर पहुंचना चाहते हैं।

उत्तर प्रदेश के औरैया में लॉकडाउन के बीच वापस घर लौट रहे कुछ मजदूर शनिवार सुबह दुर्घटना का शिकार हो गए। यहां एक ट्रॉली दूसरे डीसीएम से टकरा गई। इस दुर्घटना में 24 मजदूरों की मौत हो गई है। मृतक इसी ट्रक में सवार थे। इस ट्रॉला में चूने की बोरियां लदी थीं। बोरी के नीचे दबे हुए 24 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। 20 मजदूरों की हालत गंभीर है। उन्हें मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया है।

औरेया के अलावा देशभर के अलग-अलग हिस्सों में कई प्रवासी मजदूर घर जाते समय मारे गए हैं। रास्ते में किसी को गाड़ियों ने कुचल दिया तो कोई दूसरी गाड़ियों की भिड़ंत मारा गया। यहां तक कि कई पैदल चल रहे लोग भी सड़क पर या भूख-प्यास से मर रहे हैं या फिर हादसों में उनकी जान जा रही है। हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए हादसे में भी कई मजदूरों की जान गई थी।

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