Lucknow News: रिसने लगा जन्मांध शोधार्थी का दर्द, डिग्री नहीं मिली तो थीसिस जलाने की धमकी...

शोधार्थी मंतोष कुमार सिंह
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शोधार्थी मंतोष कुमार सिंह

अतुल मोहन सिंह, लखनऊ। डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के शोधार्थी मंतोष कुमार सिंह का दर्द अब रिसने लगा है। विवि प्रसाशन की कुव्यवस्था ने जन्मांध मंतोष को थीसिस जलाने पर मजबूर कर दिया है। शिक्षा की ललक ने मंतोष को दृष्टिबाधित होने का अहसास तक न होने दिया। उन्होंने न सिर्फ उच्च शिक्षा की पढ़ाई की बल्कि शोध किया। जब थीसिस जमा करने का मौका आया तो विश्विद्यालय प्रशासन और शोध विभाग ने हाथ खड़े कर दिए। मंतेश का कहना है कि सितंबर 2023 में विश्वविद्यलय ने उनका प्री सबमिशन वायवा कराया था। थीसिस जमा करने के मौके पर उन्हें अब तक आश्वासन ही मिला है। वह 2015-16 के शोधार्थी हैं, अब तक उन्हें डिग्री मिल जानी चाहिए थी। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को इस आशय का शिकायती पत्र लिखा है।

मोदी-योगी सरकार दिव्यांगजन को उच्च शिक्षा से जोड़ने को जुटी है। मंतोष का आरोप है कि डॉ.शंकुतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय भाजपा सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। शोधार्थी मंतोष कुमार ने डिग्री न मिलने पर दीक्षांत समारोह में थीसिस जलाने की बात कही है। साथ ही विश्वविद्यालय के प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए है। 13 सितंबर को दीक्षांत समारोह है। मंतोष ने बताया कि विशेष शिक्षा संकाय दृष्टि बाधिता विभाग के तहत 2015-16 का शोधार्थी हूं। 14 सितंबर 2023 को प्री सबमिशन वायवा संपन्न हुआ था। एक वर्ष समय अवधि के बावजूद अंतिम सबमिशन की अनुमति के नाम पर आश्वासन ही दिया गया। विश्वविद्यालय के इस रवैये से आहत होकर उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र भेज चुका हूँ। अब तक हमें न्याय नहीं मिल पाया है।

गैर दिव्यांग सहायक अध्यापक का सबमिशन पूर्ण कराने का आरोप

शोधार्थी मंतोष का कहना है कि पीएचडी सबमिशन में विलंब का कारण विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आठ वर्ष की समय अवधि पूर्व होना बताया है। वहीं, दूसरी ओर विश्वविद्यालय के ही प्रबंधन विभाग के एक सहायक प्राध्यापक जो कि गैर दिव्यांग है। उनका पीएचडी सबमिशन बिना किसी के व्यवधान के आठ वर्ष की समय अवधि पूर्ण होने पर करा दिया गया। विश्वविद्यालय के अन्य शोधार्थी जिनका प्री सबमिशन निर्धारित समयावधि तक पूर्ण नहीं हो पाया। उनके साथ मेरे प्रकरण को शामिल कर बेवजह परेशान किया जा रहा है। कहा कि एक से दो दिनों के अंदर पीएचडी सबमिशन की सभी प्रक्रिया को आगामी 2024 के दीक्षांत समारोह में ही पीएचडी की डिग्री प्रदान की जाए। अगर यह नहीं होता है तो वह दीक्षांत समारोह के दिन ही हताश होकर अपनी थीसिस जला देंगे।

क्या कहता है विश्वविद्यालय प्रशासन

डॉ.शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ.यशवंत वीरोदय ने बताया कि यह एक मात्र मामला नहीं है, ऐसे 43 शोधार्थियों की समस्या है। विश्वविद्यालय ने इन सभी की समस्याओं का ख्याल रखते हुए कमेटी बनाई है। आगामी दिनों में कार्यपरिषद के समक्ष कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रेषित करेगी, जिसके बाद ही इन सभी की समस्याओं का समाधान होगा।

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