RSS पर प्रतिबंध हटाए जाने पर कोर्ट का बड़ा फैसला

RSS पर प्रतिबंध हटाए जाने पर कोर्ट का बड़ा फैसला

MP High Court on RSS : मध्यप्रदेश हाई कोर्ट का RSS पर प्रतिबंध हटाए जाने पर बड़ा फैसला

MP High Court on RSS : हाई कोर्ट में रिटायर्ड अधिकारी पुरुषोत्तम गुप्ता द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है।

MP High Court on RSS : मध्यप्रदेश। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) पर केंद्र सरकार द्वारा सालों पहले लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। इस प्रतिबंध के तहत सरकारी कर्मचारी आरएसएस की गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकते थे। बैन हटने के बाद सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की गतिविधि में हिस्सा ले सकेंगे। इसी मामले में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, यह दुःख की बात है कि, आरएसएस जैसे लोकहित और राष्ट्रवाद के लिए काम करने वाले संगठन से बैन हटाने में केंद्र सरकार को पांच दशक लग गए।

दरअसल, मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के रिटायर्ड अधिकारी पुरुषोत्तम गुप्ता द्वारा याचिका लगाकर मांग की गई थी कि, वे आरएसएस में शामिल होना चाहते हैं। वे आरएसएस की समाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से प्रभावित हैं। उन्होंने यह याचिका साल 2023 में दायर की थी।

भविष्य के लिए चेतावनी :

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश में लिखा कि, साल 1966, 1970 और 1980 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया। यह मामला सबसे बड़े गैर राजनीतिक संगठन से जुड़ा है। यह मामला इसलिए भी जरूरी है कि, राष्ट्रहित में काम करने वाले संगठन को सरकार की सनक और पसंद के आदेश की सूली न चढ़ाया जाए। जैसा कि, आरएसएस के साथ हुआ है। पिछले पांच दशक से RSS के साथ यह हो रहा है। इस प्रतिबंध के कारण पांच दशकों में कई कर्मचारी जो देश सेवा करना चाहते थे उनकी संख्या कम हो गई।

संघ का राजनीति से कोई लेना देना नहीं :

कोर्ट ने आदेश देते हुए पूछा है कि, 60 और 90 के दशक में वे कौनसी रिपोर्ट थीं जिनके आधार पर आरएसएस पर सम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाया गया था। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि, यह सभी जानते हैं कि, सरकारी तंत्र के बाहर आरएसएस एक मात्र स्वसंचालित और स्वैछिक संगठन है। संघ की छत्रछाया में धार्मिक और गैर - राजनीतिक गतिविधियां संचालित होती हैं। इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। संघ के सहायक संगठन शिशु भारती और राष्ट्रीय सेवा भारती भी सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं।

RSS में शामिल होने का मतलब खुदको राजनीतिक गतिविधि में शामिल करना नहीं :

अंत में हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, आरएसएस में शामिल होने का मतलब खुदको राजनीतिक गतिविधि में शामिल करना नहीं हो सकता तो राष्ट्रविरोधी और सांप्रदायिक होना तो दूर की बात है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि, सभी को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। आदेश को लागू करते समय इस बारीक अंतर को नजरअंदाज कर दिया गया था।

मध्यप्रदेश ने 2006 में हटाया था प्रतिबंध :

संघ की गतिविधियों में शामिल होने वाले कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती थी, जबकि देश के कई राज्यों में राज्य कर्मचारियों के लिए (जिनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है) ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। मध्यप्रदेश ने वर्ष 2006 से ही इस प्रतिबंध को समाप्त कर दिया। संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध की वजह से केंद्रीय कर्मचारी इस संगठन के माध्यम से देश सेवा नहीं कर पा रहे हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान ही केंद्र सरकार की तरफ से अधिवक्ता हिमांशु जोशी ने न्यायालय में जानकारी दी थी कि केंद्र ने वर्ष 1966, 1975 और 1980 में पारित आदेशों में संशोधन कर दिया है और केंद्रीय कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में सम्मिलित होने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है।

दरअसल, फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह एक आधिकारिक आदेश था। 9 जुलाई 2024 को, केंद्र सरकार ने आरएसएस पर लगा 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया है।

केंद्र द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि, 'उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है। समीक्षा के बाद 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उल्लेख हटा दिया गया है।'

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