#Live : मध्य स्वदेश भोपाल द्वारा आयोजित "विमर्श" एवं "ग्रंथ विमोचन" कार्यक्रम

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भोपाल। स्वदेश समूह के 50 साल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मध्य स्वदेश भोपाल द्वारा "विमर्श" एवं "ग्रंथ विमोचन" कार्यक्रम का आयोजन किया गया।मुख्य अतिथि जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्वदेश प्रकाशन समूह द्वारा मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित ग्रंथ 'विलक्षण जननायक' का विमोचन किया गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन व मां सरस्वती के चरणों में नमन कर स्वदेश ग्वालियर के स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जीवन पर आधारित 'भारतीय राजनीति में सेवा, संवेदना और संस्कृति' पर विमर्श और 'विलक्षण जननायक' पुस्तक का विमोचन किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा स्वदेश की 7 दशक की यात्रा को प्रणाम करता हूं, मूल्य आधारित पत्रकारिता की यात्रा को नमन करता हूं। परम श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपयी जी और मामाजी माणिकचंद जी के हाथों जो परंपरा स्थापित की, उस यात्रा को नमन करता हूं I आज के दौर में जब बाजार आधारित पत्रकारिता का चलन है, तो स्वदेश ने मूल्य आधारित पत्रकारिता को न सिर्फ जारी रखा, बल्कि इसकी पहचान कायम रखे हुए है। स्वदेश को मैं बधाई देता हूं।

भारतीय संस्कृति में बचपन से ही श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भागवत गीता आदि ग्रंथों की शिक्षा दी जाती है। गांव में मेरे बाल्यकाल के दौरान भी हमारी रुचि धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में रही है। श्रीरामचरितमानस तो मेरे मन में रच बस चुका हैI हमारी संस्कृति में मानवीय संवेदनाएं जागृत करने की ऐसी शक्ति है, जो समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रेरित करती है। गांव में बचपन के दिनों में मैंने कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए जो संकल्प लिए उसकी प्रेरणा धार्मिक ग्रंथों से मिलीI लाडली लक्ष्मी योजना, गांव की बेटी, बेटियों को साइकिल जैसी अनेक योजनाओं के माध्यम से इनके सशक्तिकरण की दिशा में काम किया। आज लाडली लक्ष्मी योजना को देश के विभिन्न राज्यों ने अपनाया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुझे जन कल्याण, कमजोर वर्ग के उत्थान के संस्कार और संवेदना प्रकट करने का संस्कार दिया। संघ ने मुझे ऐसा गढ़ा है कि मैं सदैव लोक कल्याण की भावना से काम करता हूं। यही मेरे जीवन का संकल्प है। एक ही चेतना सब में है, इस भाव का प्रकटीकरण ठीक ढंग से हो जाए, तो तेरा मेरा का झगड़ा ही समाप्त हो जाएगा। ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना से अद्वैत वेदांत के इस कल्याणकारी मंत्र का प्रसार होगा, जिससे मानवता का कल्याण होगा I

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