महाशिवरात्रि ‘पूजन’ के साथ विधिवत सम्पन्न होगा महाकुम्भ: अखाड़ों की विदाई के साथ महाशिवरात्रि पर होगा महाकुम्भ का अंतिम पूजन...

अखाड़ों की विदाई के साथ महाशिवरात्रि पर होगा महाकुम्भ का अंतिम पूजन...
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जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने इसे भारत की सनातन संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह आयोजन विश्व में अनूठा है।

महाकुम्भनगर। प्रयागराज में महाकुम्भ 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है, जहां करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, अखाड़ों की दिव्यता और संतों के आशीर्वाद ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बुधवार को अंतिम पूजन के साथ कुम्भ के धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण होंगे। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने इसे भारत की सनातन संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह आयोजन विश्व में अनूठा है। इस अद्भुत आयोजन को सफल बनाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी।

महाकुम्भ हमारी दिव्यता का प्रतीक :

जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने महाकुम्भ 2025 के समापन पर कहा, "महाकुम्भ हमारी दिव्यताओं का प्रतीक है। हमारी संस्कृति तब से चली आ रही है जब से अम्बर, अग्नि, जल, वायु और मानव अस्तित्व में आए।"

काशी में पूर्ण हुआ कुम्भ अनुष्ठान :

उन्होंने बताया कि कुम्भ के सभी धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद वे काशी पहुंच चुके हैं। महाशिवरात्रि के ‘पूजन’ के साथ महा कुम्भ की परंपराएं विधिवत संपन्न हो जाएंगी।

एकता और सामाजिक समरसता की मिसाल :

जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा, "हमने यहां एकता और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम देखा। पूरा विश्व यह देखकर चकित है कि कैसे करोड़ों भारतीय एकजुट हुए।"उन्होंने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि "यूनेस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी है। 60-62 करोड़ लोगों का एक ही शहर में आना, यह अपने आप में एक अनोखी घटना रही।"

पीएम मोदी और सीएम योगी को दी बधाई :

उन्होंने कहा, "महाकुम्भ बिना किसी अव्यवस्था के संपन्न हुआ, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं। उनकी दूरदर्शिता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह आयोजन पूरी तरह सफल रहा।"

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