उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा, कहा- जिन्हें शिवसेना ने आगे बढ़ाया उन्होंने ही धोखा दिया

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा, कहा- जिन्हें शिवसेना ने आगे बढ़ाया उन्होंने ही धोखा दिया
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मुंबई। महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठा पटक का आज आखिरकार अंत हो गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव होकर इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी। फेसबुक लाइव के जरिए दिए संबोधन में उद्धव ने शिंदे गुट को संबोधित करते हुए कहा की आपको अपनी बात ठीक तरह से रखनी चाहिए थी।जिन्हें कुछ भी नहीं दिया, उन्होंने साथ दिया। कांग्रेस-एनसीपी ने हमारा साथ दिया, लेकिन जिनको मैंने दिया, वो नाराज हैं।इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार को धन्यवाद कहा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कल फ्लोर टेस्ट कराने का निर्णय सुनाया।सुप्रीम कोर्ट ने शाम को 3 घंटे 10 मिनट तक चली सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट के खिलाफ, शिंदे गुट और राज्यपाल के वकील ने फ्लोर टेस्ट के पक्ष में दलीलें दी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज कैबिनेट की बैठक बुलाई। जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। कैबिनेट ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर संभाजी नगर, उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव कर दिया। इसके अलावा नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम डीवाई पाटिल एयरपोर्ट रखा गया है।कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री इस्तीफे से पहले बोले जाने वाली भाषा बोलते हुए नजर आए। बैठक के दौरान उन्होंने साथी मंत्रियों से कहा की मुझे अपने लोगों ने ही धोखा दिया है। आप लोगों का साथ देने के लिए शुक्रिया।

मनु सिंघवी ने रखा शिवसेना का पक्ष -

सुनवाई के दौरान शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट बहुमत जानने के लिए होता है। इसमें इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि कौन वोट डालने के योग्य है और कौन नहीं। उन्होंने कहा कि स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए। उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी। सिंघवी ने कहा कि कोर्ट ने अयोग्यता के मसले पर 11 जुलाई तक के लिए सुनवाई टाली है। उससे पहले फ्लोर टेस्ट गलत है। तब कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि फ्लोर टेस्ट कब करवा सकते हैं, इसे लेकर क्या कोई नियम है। तब सिंघवी ने कहा कि आमतौर पर 2 फ्लोर टेस्ट में 6 महीने का अंतर होता है इसलिए, अभी फ्लोर टेस्ट कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए।


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