मणिपुर में हिंसा के बाद पहला विधानसभा सत्र, दो मंत्री और 8 विधायकों ने किया बहिष्कार
इंफाल। हंगामा के चलते विधानसभा अध्यक्ष थोकचम सत्यब्रत सिंह ने मणिपुर विधानसभा का एक दिवसीय सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
दरअसल, मणिपुर विधानसभा का बजट सत्र पिछले फरवरी-मार्च में बुलाया गया था। अपरिहार्य कारणों से इसे रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 3 मई से सांप्रदायिक झड़पें शुरू होने के कारण मानसून सत्र भी स्थगित कर दिया गया था। लगभग चार महीने की हिंसा के बाद पहली बार मणिपुर विधानसभा का महत्वपूर्ण एक दिवसीय सत्र मंगलवार सुबह शुरू हुआ। सत्र शुरू होते ही विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।विपक्षी दल के सदस्य विधानसभा में 'लोकतंत्र बचाओ', 'हत्याएं बंद करो', 'शांति बहाल करने में विफल सरकार' आदि नारे लगाने शुरू कर दिए। सत्ता पक्ष ने भी पलटवार करना शुरू कर दिया। एक समय लगा कि स्थिति गंभीर हो जाएगी। परिणामस्वरूप, विधानसभा अध्यक्ष सिंह ने आज का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
कांग्रेस ने राज्य में हिंसा में मारे गए लोगों के लिए दो मिनट के मौन पर आपत्ति जतायी और एक दिवसीय सत्र को पांच दिन तक बढ़ाने की मांग की थी। उनके मुताबिक एक दिवसीय सत्र में सवाल-जवाब या निजी सदस्यों के प्रस्तावों का कोई एजेंडा नहीं था। कांग्रेस का कहना है कि यह एक दिवसीय सत्र जनहित में नहीं है।इस बीच, राज्यपाल कार्यालय की भेजी गई एक अधिसूचना के अनुसार हंगामा के बावजूद विधानसभा में तीन प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें से एक था बिना भेदभाव के सौहार्द बनाए रखना। बातचीत के ज़रिए शांति की कोशिश और हिंसा से बचने की अपील।
विधायकों ने किया बहिष्कार -
इस बीच, कुकी-ज़ोमी आदिवासी संगठनों ने एक दिवसीय सत्र को अस्वीकार कर दिया और संबंधित समुदायों के 10 विधायकों ने सत्र का बहिष्कार किया। उन्होंने कहा कि कुकी विधायकों के लिए मैतेई बहुल इंफाल घाटी की यात्रा करना सुरक्षित नहीं है, जहां विधानसभा स्थित है। हालांकि, नागा विधायकों ने सत्र में भाग लिया।कुकी-जोमी समुदाय ने राज्यपाल से विधानसभा सत्र स्थगित करने का अनुरोध किया। वे एक ही मांग, अलग प्रशासन चाहते हैं, लेकिन सरकार ने कोई विशेष लाभ देने से इनकार कर दिया। मंत्री सपम रंजन सिंह ने कहा कि मणिपुर में कोई अलग प्रशासन नहीं हो सकता, सरकार की यह स्थिति स्पष्ट है।