कोबाड गांधी को मिली सच बोलने की सजा, माओवादी आतंकी संगठन ने किया निष्काषित
वेबडेस्क। भारत में प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवाद) ने सच बोलकर आईना दिखाने वाले अपने कट्टर नेता को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। सीपीआई(एम) ने बीते 27 नवंबर को अपने सेंट्रल कमेटी और पोलितब्यूरो के पूर्व सदस्य कोबाड गांधी को संगठन से निष्काषित कर दिया। पार्टी का आरोप है वह माओवाद की विचारधारा और सिद्धांतों को छोड़कर वह अध्यात्म और पूंजीवाद के विचारों का अपना रहे थे।
प्रतिबंधित आतंकी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कोबाड गांधी पिछले 50 सालों से भी अधिक समय तक नक्सलबाड़ी के राजनीतिक आंदोलन का हिस्सा रहा। पहले सीपीआई (एमएल) के सेंट्रल कमिटी मेंबर के रूप में और फिर उसके बाद महाराष्ट्र स्टेट कमिटी के नेता और फिर माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो सदस्य के रूप में शामिल रहा।कोबाड गांधी को वर्ष 2009 में जेल हुई जिसके बाद से ही वह खुद को माओवादी संगठन से अलग बताने का प्रयास करता रहा। माओवादी संगठन के प्रवक्ता ने अपने प्रेस नोट में लिखा है कि कोबाड गांधी ने यह सब सत्ताधारी राजनीतिक ताकतों के दबाव में किया जो उसकी बेईमानी को दिखाता है।
ये है मामला -
दरअसल कोबाड गांधी ने जेल से बाहर आने के बाद वर्ष 2021 में एक पुस्तक लिखी थी और उस पुस्तक के आधार पर माओवादियों ने यह फरमान सुनाया है।कोबाड गांधी को सितंबर 2009 में माओवादी आतंकी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उस पर आरोप था कि वह कई बड़े माओवादी हमले की योजना बनाने में शामिल रहा है।इसके बाद वर्ष 2019 के अक्टूबर माह में जमानत में कोबाड गांधी सूरत जेल से बाहर आया और उसने अपनी पुस्तक लिखी। 2021 में पुस्तक आने के बाद माओवादी संगठन ने अपना असंतोष व्यक्त कर उसे अपने आतंकी संगठन से बाहर कर दिया है।
ये सच बोलने की मिली सजा -
माओवादियों ने अपने जारी प्रेस नोट में कहा है कि कोबाड गांधी ने मार्क्सवाद लेनिन वाद और माओवाद की क्षमता पर संदेह और यह पूछ रहा है कि माओ के द्वारा शुरू किया गया संघर्ष आखिर फेल क्यों हो गया आखिर माओ के मृत्यु के बाद चीन में सांस्कृतिक क्रांति क्यों विफल रही। प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि कोबाड गांधी कहता है कि क्रांति केवल युद्ध काल में सफल रहे और शांति काल में सफल नहीं हो सकती।
माओवादी प्रेस नोट के अनुसार यह भी कहा गया है कि कोबाड गांधी ने वर्ष 2013 में जेल में रहने के दौरान एक लेख लिखा था जिसमें उसने मानवता और आध्यात्मिकता पर बात की थी। और उसके यह विचार स्पष्ट रूप से उसकी छपी किताब में नजर आती है। प्रेस नोट में आगे कहा गया है कि कोबाड गांधी आध्यात्मिक विचार को बढ़ा रहे हैं और उसके विचार का आशय यह है कि मार्क्सवाद अच्छा विचार नहीं है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सक्षम नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय अफेयर देखने वालों में से एक -
कोबाड गांधी माओवादी आतंकी संगठन में अंतरराष्ट्रीय अफेयर देखने वालों में से एक व्यक्ति था। कोबाड गांधी की वही व्यक्ति था जिसने नेपाल के माओवादी नेता प्रचंड और अन्य नेताओं के साथ भारत के माओवादी आतंकियों की बैठक करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।कोबाड गांधी की पत्नी अनुराधा गांधी भी माओवादी आतंकी संगठन में सेंट्रल कमेटी की सदस्य थी और यह दोनों मिलकर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र में सक्रिय रुप से कार्य कर रहे थे।वर्ष 2008 में अनुराधा गांधी की मौत के बाद वर्तमान में भीमा कोरेगांव हिंसा में आरोपी शहरी माओवादी आनंद तेलतुंबड़े ने अनुराधा गांधी के सभी लेखों का संकलन किया और इन लेखों के संकलन से वर्ष 2011 में एक किताब भी प्रकाशित की गई थी।