अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम, ISRO "सोलर मिशन" के मायने
इसरो सूर्य पर क्यों जा रहा है ?
चंद्रयान -3 के चन्द्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक के बाद इसरो द्वारा 2 सितम्बर 2023 को सूर्य के चक्कर लगाने वाला उपग्रह आदित्य-L1 लॉन्च किया गया और अपनी 126 की यात्रा के बाद भारत का यह मिशन अपने पूर्व निर्धारित स्थान पर पहुंच गया है। यह 6 जनवरी 2024 शनिवार को सूर्य के LAGRANGE POINT (L1) पर पहुँच गया है जहाँ से यह सूर्य के कई रहस्यों से पर्दा उठायेगा। आदित्य-L1 सूर्य के जिस बिंदु पर है वहाँ से पृथ्वी की दूरी 1.5 बिलियन किमी है और यह इसरो के X-RAY POLARIMETER SATELLITE सिस्टम की रेंज में है जहाँ से वैज्ञानिकों को ब्लैक होल्स के बारे में और अच्छे से जानने को मिलेगा।
आदित्य की यात्रा
यह उपग्रह अपने पूर्व निर्धारित स्थान जोकि पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी है। यहाँ तक पहुंचने के लिये लगभग 3.5 मिलियन किमी यात्रा कर चुका है और परिक्रमण मार्ग में गति करते हुये अपनी यात्रा पूरी की है। आदित्य -L1 की अभी की पृथ्वी से दूरी पृथ्वी की चन्द्रमा से दूरी की लगभग चार गुना है और यह सूर्य, जो कि पृथ्वी से 150 मिलियन किमी है से अभी भी काफी दूर है।
स्वदेशी क्षमता
इस मिशन की सफलतापूर्वक यात्रा के जरिये भारत अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी क्षमता और दक्षता को दुनिया के सामने प्रदर्शित कर सकेगा। इस मिशन में भारत द्वारा द्वारा कई क्षेत्रों में सवदेशी तकनीक का प्रयोग किया गया है। चाहे वह लॉन्च व्हीकल्स हो या सॅटॅलाइट फेब्रिकेशन या फिर गाइडेंस या नेविगेशन इन सभी में स्वदेशी तकनीक का उपयोग भारत की कई क्षमताओं के साथ नवाचार में बढ़ते कदमों को दर्शाता है।
रणनीतिक स्थिति
आदित्य-L1 सूर्य की सतह के उस क्षेत्र का निरीक्षण करने में समर्थ है जहाँ पृथ्वी की कक्षा के अन्य उपग्रह नहीं देख सकते। LAGRANGE POINT अंतरिक्ष में उस स्थिति पर है जहाँ कोई भी वस्तु एक स्थिर अवस्था में रहती है। जिससे कई सोलर घटनाओं जैसे सूर्य की सतह पर आने वाले कई सोलर तूफानों व उनके पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में अध्ययन किया जा सकता है और साथ ही साथ सूर्य की सतह व आंतरिक भाग के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा सकती है।
सूर्य का अध्ययन क्यों आवश्यक है?
सूर्य का अध्ययन करना अंतरिक्ष के हिसाब से बहुत ही ज़्यादा आवश्यक है क्योंकि इसकी मदद से हम ब्रह्माण्ड के बारे में और जानकारी जुटा सकते हैं। ब्रह्माण्ड में घटित होने वाली अन्य घटनाओं को सूर्य के अध्ययन के द्वारा जाना जा सकता है। सोलर एस्ट्रोनॉमी के जरिये हम तारों, प्लैनेटरी सिस्टम, निहारिकाओं के बारे में जान सकते हैं।
सूर्य द्वारा लगभग सारी तरंगदैर्ध्यों ( Wavelength ) पर ऊर्जा के कणों, चुंबकीय क्षेत्रों के अलावा भारी मात्रा में विकिरण भी उत्सर्जित किया जाता है लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा कई हानिकारक किरणों को सतह पर पहुँचने से पहले ही रोक दिया जाता है जिस कारण सूर्य से आने वाली ऊर्जा और उस सौर विकिरण का हमारे उपकरणों द्वारा अच्छे से अध्ययन नहीं किया जा पाता इसीलिये इस मिशन को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया है।
सोलर फिज़िक्स रिसर्च
आदित्य द्वारा सौर चक्र, सौर ऊर्जा उसकी सतह पर स्थित ऊष्मा, सौर पवनों की गतिकी, सौर विकिरण (Solar irradiance) के स्त्रोत, कॉस्मिक किरणों व सौर व अंतरिक्ष विज्ञान के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का अध्ययन सरलता से किया जा सकता है जोकि अंतरिक्ष के मौसम के बारे में भी सतत् जानकारी देकर अंतरिक्ष विज्ञान में नये आयाम स्थापित किये जा सकते हैं।
वैश्विक सहयोग
इस मिशन के द्वारा सौर पवनों,सौर तूफ़ानों की भविष्यवाणी करके और अंतरिक्ष के मौसम के बारे सटीक जानकारी इकट्ठा करके हम सारे विश्व को आँकड़े प्रदान कर सकते हैं जिससे आगामी विज्ञान के प्रोजेक्टों में विश्व के कई देशों का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही साथ विश्व की अन्य अंतरिक्ष एजेन्सी के साथ एक रणनीतिक साझेदारी भी कर सकते हैं। कई अन्य देश आधारभूत अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए भारत में निवेश भी कर सकते हैं।
रक्षा में अंतरिक्ष की सहायता
अंतरिक्ष में आदित्य मिशन के इन निरीक्षणों की मदद से हमें कई घातक अंतरिक्ष तूफ़ानों के बारे में पता चल सकता है जिससे हम उच्च कक्षाओं में उपस्थित उपग्रहों को सुरक्षित कर सकें और अंतरिक्ष में उपस्थित अंतरिक्ष यात्रियों को सावधान कर सकें। जिससे हमारे करोड़ों रुपयों के उपग्रहों व अंतरिक्ष कार्यक्रमों की रक्षा की जा सके।
जनभागीदारी
इस मिशन के द्वारा लोगों को अंतरिक्ष के मौसम, पृथ्वी और सूर्य के मध्य इन्टर कनेक्ट सिस्टम जो हमारी पृथ्वी पर स्थित तकनीक और आधारभूत संरचनाओं जिन पर हमारा समाज अत्यधिक निर्भर करता है के बारे में जागरूक किया जा सकता है। लोगों को जागरूक करने के फलस्वरूप स्टूडेंट्स को भी इस क्षेत्र में करिअर के लिये प्रेरित किया जा सकता है।