'भारत' को 'भारत' रहना है तो 'स्व' का अवलंबन करना होगा : प.पू. सरसंघचालक जी

भारत को भारत रहना है तो स्व का अवलंबन करना होगा : प.पू. सरसंघचालक जी
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ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा है कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता के द्वारा स्व जागरण का अभियान शुरू हो चुका है, दुनिया भारत की तरफ उ मीद से देख रही है। हिन्दू अपने धर्म से अलग नहीं हो सकता और भारत हिन्दू से अलग नहीं हो सकता। हिन्दू है तो भारत है और हिन्दू नहीं तो भारत नहीं। अंग्रेजों ने हिन्दुओं को छोडक़र भारत का इतिहास लिखा। उसे कोई भी पढ़ता है तो उसे ऐसा लगता है कि हिन्दू कहीं था ही नहीं। ऐसा आभास होता है मानो दस पन्द्रह पीढ़ी पूर्व हमारे कोई पूर्वज थे ही नहीं। जबकि तथ्य यह है कि हिन्दू नहीं है तो भारत भी नहीं है।


डा. भागवत शनिवार को ग्वालियर में स्वदेश के पचास वर्ष पूर्ण होने पर जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल बिहारी बाजपेयी सभागार में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मु यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक श्री अशोक सोहनी भी उपस्थित थे। भारत विभाजन का जिक्र करते हुए श्री भागवत ने सवाल उठाया कि आखिर भारत टूटा क्यों? उन्होंने कहा कि पहले वहां हिंदुओं की शक्ति कम हुई फिर सं या कम हुई और हिंदुत्व का भाव तेजी से घटा। परिणामस्वरूप पाकिस्तान निर्मित हुआ। वो चाहते तो कह सकते थे तुम हिन्दू मत बनो ,हिंदुस्तान शब्द मत लो क्योंकि वेद हमारे यहां लिखे गए, संस्कृत का व्याकरण हमारे यहां लिखा गया,जिस सिंधु शब्द से हिन्दू की उत्पति हुई है वह सिंधु भी हमारे यहां ही है। पर उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि अगर हिंदुस्तान कहेंगे तो भारत आएगा और भारत आएगा तो स्वाभाविक है हिन्दू आएगा ही,इसीलिए उन्होंने कहा हम पाकिस्तानी ठीक है।


डॉ भागवत ने कहा कि हिन्दू नहीं रहा तो भारत ,भारत नहीं रहेगा। उन्होंने इसे अखंड भारत के उदाहरण के साथ समझाते हुए बताया कि जहां भी हिंदू की सं या कम हुई वह स्थान भारत नहीं रहे। हम अपने देश में ही देख लें कि कहां कहां हमारी एकता,अखंडता को खतरा खड़ा हुआ है? किन क्षेत्रों में सामाजिक आर्थिक समस्या बिगड़ी है और अस्थिरता की स्थिति है, हम देखेंगे कि उन सभी क्षेत्रों में हिंदुत्व की शक्ति,सं या और भाव में कमी आई है।

भारत को यदि भारत रहना है तो उसे अपने स्व का अवलंबन करना ही पड़ेगा। हिन्दू रहना है तो भारत को एकात्म और अखंड बनना ही पड़ेगा। हमारा अस्तित्व ही स्व के कारण है। हिन्दुत्व के स्व भाव से ही भारत की उन्नति हो सकती है। इसलिए हम स्वदेश कहते हैं और हमें स्व एवं देश दोनों का ध्यान रखना चाहिये।

डा. भागवत ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता ने अंग्रेजों के इस षडय़ंत्र को समझ लिया और भारत के स्व को पुनस्र्थापित करने का प्रयास किया। स्व जागरण के कारण ही आज विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। हमारा धर्म कहता है कि अपने पराए की बात उचित नहीं, मन को विशाल करो और सभी को अपना मानो। दुनिया को कुटु ब बनाने वाली बात को लोग सिर्फ भारत से जोडक़र देखते है अन्य किसी देश में यह संभव नहीं। दुनिया के बाकी देश स्वार्थ के आधार पर संबंध बनाते हैं, हम नहीं। अपनत्व के आधार पर सबंधों की कल्पना और जीवन सिर्फ भारत में ही है।

अपने 'स्व' की दृष्टि से हम अपना विचार करने का प्रयास करें। हमारे देश की एकता, अखंडता, संस्कृति का ज्ञान इन सारे सूत्रों को साथ लेकर चलना होगा। समाज को खड़ा करने का प्रयास करना होगा। समाज में प्रेरणा, आवेश, ज्ञान, ओज ये सारे तत्व जागृत करने का काम समाज को शिक्षित करने वाले वर्गों का है। इसमें संचार माध्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्व बोध से काम करना आसान नहीं होता, इसमें कष्ट आते ही हैं। हमें संकल्प लेना होगा कष्ट चाहे जितना हो हम सत्य पर चलेंगे। देश में कई संगठन इस कारवां में चल रहे हैं उसमें संघ भी एक है। ऐसा ही एक घटक स्वदेश है। पिछले पचास वर्षों में स्वदेश की यात्रा जिस ध्येयनिष्ठ भाव से चली है, वही भाव हमें विपत्तियों का सामना करने का सामथ्र्य देता है। अपनी ध्येयनिष्ठा को कायम रखते हुए स्वदेश आगे बढ़े और अपने सौवें वर्ष में भारत को विश्वगुरू बनता हुआ देखे, यही कामना है।

विचार और मूल्य आधारित पत्रकारिता का युग शुरू : शिवराज सिंह

मध्य प्रदेश के मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रहित में सूचना देना स्वदेश का वैशिष्ट है। पचास वर्ष की निरंतर यात्रा करना एक बड़ी चुनौती होती है लेकिन स्वदेश ने इसे कर दिखाया। यह ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता कि मिसाल है कि विचार आधारित और मूल्य आधारित पत्रकारिता का युग श्ुारू हो रहा है। मु यमंत्री चौहान शनिवार को स्वदेश के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बतौर मु य अतिथि श्री चौहान ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब राष्ट्रहित की बात करने पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया जाता था। लेकिन स्वदेश ने अपनी ध्येयनिष्ट पत्रकारिता की यात्रा को जारी रखा। कनवर्जन, स्वदेशी, राममंदिर, ज मू-कश्मीर की धारा 370 की समाप्ति जैसे विषयों को स्वदेश ने बड़ी गंभीरता के साथ पाठकों तक पहुंचाया। मु यमंत्री चौहान ने कहा कि आजादी के बाद वामपंथी विचारधारा ने देश में जड़ें जमा ली थीं। लंबे समय बाद लोगों ने उस विचारधारा को नकारा है। अब जनमानस बदल रहा है। विचारों का वाहक स्वदेश बना है। यही कारण है कि राममंदिर का विरोध करने वाले अब रामधुन गाने लगे हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े औद्योगिक घराने ाी धंधा चलाने के लिए अखबार और टीवी चैनल चला रहे हैं लेकिन अनवरत टिके रहना बहुत कठिन कार्य है।

दो व्यक्तित्वों का सम्मान

स्वदेश समाचार पत्र ही नहीं, अपितु एक विचार है। वैचारिक प्रतिबद्धता को लेकर यह निरंतर अपनी यात्रा में अग्रसर है। प्रतिष्ठान में कार्य करने वाले बड़े पदाधिकारी से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को समान दृष्टि से देखा जाता है। सभी को समान रूप से स मान मिलता है। स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में ऐसे दो व्यक्तित्वों को स मानित किया जिन्होंने इस अनवरत यात्रा में अपना अमूल्य योगदान दिया है। डा श्रीकृष्ण त्र्यंबक काकिर्डे उपा य अण्णाजी ने बतौर स्वदेश के पूर्व संचालक के रूप में लंबे समय तक सेवाएं दी हैं। वहीं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अशोक सक्सेना ने चार दशक तक स्वदेश में कार्य किया है। परम पूजनीय सरसंघचालक ने दोनों व्यक्तियों को स्मृति चिन्ह, शॉल व पुष्पगुच्छ से स मानित किया। मंच संचालन राजेश वाधवानी ने किया जबकि स्वदेश के संचालक प्रांशु शेजवलकर ने आभार जताया। पीयूष तांबे व प्रतीक्षा तांबे ने मैं रहूं या न रहूं, भारत रहना चाहिए....गीत की शानदार प्रस्तुति देकर श्रोताओं को राष्ट्रभक्ति के भाव से सराबोर कर दिया।

समूह संपादक अतुल तारे ने स्वदेश की यात्रा पर प्रकाश डाला

इससे पहले स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे ने ं स्वदेश की गौरवमयी यात्रा पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह पंडित दीनदयाल जी की प्ररेणा से लखनऊ से श्रद्धेय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वदेश का संपादन प्रारंभ किया था। उन्होंने ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता को समर्पित स्वदेश के पचास वर्षों की यात्रा से सभागार को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि किस तरह बाजारवाद की चुनौती के बीच स्वदेश ने शुचिता पूर्ण पत्रकारिता के अपने लक्ष्य को निरंतर बनाए रखा है। अपने पाठकों को सूचना के साथ राष्ट्रीय हित के विचार से निरंतर जोड़े रखा है।

वृत्त चित्र के माध्यम से दिखाई स्वदेश की यात्रा

समारोह में एलईडी स्क्रीन पर स्वदेश पर केंद्रित वृत्त चित्र का शानदार प्रस्तुति की गई। इसमें अतीत से लेकर वर्तमान तक की विभिन्न झलकियां चित्रों के माध्यम से दिखाईं गईं।

इनकी रही मौजूदगी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते, क्षेत्र कार्यवाह अशोक अग्रवाल, सह क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध, प्रांत संघचालक अशोक पाण्डेय, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडक़र, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य, प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रद्यु न सिंह, मंत्री भारत सिंह कुशवाह, राज्यमंत्री सुरेश राडख़ेड़ा, पूर्व मंत्री माया सिंह, जयभान सिंह पवैया, प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर, पूर्व सांसद व वरिष्ठ पत्रकार बलवीर पुंज, अशोक अर्गल, वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय, कार्टूनिष्ट इरफान, मीडिया पैनलिस्ट अनुभव चक, संत कृपाल सिंह महाराज, रामदास जी महाराज दंदरौआधाम, गौरव महाराज मैना वाली गली, संत समर्थ तीर्थ महाराज बेला की बावड़ी, संत बरू आ जी महाराज, सत्य नारायण की टेकरी, झिरिया वाले महाराज, रमेश लाल महाराज धर्मपुरी, शहर काजी अब्दुल अजीज कादरी, अब्दुल समद कादरी, शहजाद खान, शईद खान, अब्दुल सईद, फैजान अली, फादर हर्षल, फादर एम. जोन, फादर एन.जोन सेवियर, जीवाजी विवि की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, कुलाधिसचिव प्रो. उमेश होलानी, कृषि विवि के कुलपति प्रो. एसके राव, संगीत विवि के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर, आईआईटीटीएम के निदेशक डॉ. आलोक शर्मा, कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा, प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा आदि सहित शहर के प्रमुबद्धजन, वरिष्ठ कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।

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