नीट यूजी 2024: दोबारा नहीं होगी NEET UG 2024 परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को किया खारिज

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NEET UG 2024 Re-Examination : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने 23 जुलाई के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कोर्ट ने NEET-UG 2024 दोबारा लेने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के आधार पर दोबारा परीक्षा लेना उचित नहीं है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मौज मिश्रा की पीठ ने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि, कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने की प्रार्थना को भी खारिज कर दिया।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कोर्ट को यह पूरी तरह से समझ में आता है कि इस साल के लिए NEET-UG परीक्षा को फिर से आयोजित करने का निर्देश देना गंभीर परिणामों का कारण बनेगा, जो 24 लाख से अधिक छात्रों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है और प्रवेश प्रक्रिया में व्यवधान डाल सकता है।

अदालत ने 10 और 21 जुलाई 2024 को सीबीआई द्वारा पेश की गई स्थिति रिपोर्ट का भी अवलोकन किया। आदेश में कहा गया है कि सीबीआई द्वारा किए गए खुलासों से यह संकेत मिलता है कि जांच अभी भी चल रही है, हालांकि वर्तमान रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि लगभग 150 छात्र ऐसे हैं, जो इस धोखाधड़ी के लाभार्थी प्रतीत होते हैं।

न्यायालय ने कहा कि चूंकि जांच अभी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची है, इसलिए उसने केंद्र से यह सवाल किया है कि क्या ऐसा कोई रुझान है जो लीक या धोखाधड़ी का संकेत देता हो, या क्या किसी बड़े पैमाने पर लीक की संभावना है। इसके जवाब में केंद्र ने आईआईटी-मद्रास की रिपोर्ट पेश की।

CJI ने आगे कहा कि अगर परीक्षा दोबारा आयोजित की जाती है, तो इसका मेडिकल शिक्षा पर व्यापक असर पड़ेगा। साथ ही यह भविष्य में योग्य चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता को भी प्रभावित करेगा। विशेष रूप से जो छात्र आरक्षण के तहत सीटों के लिए पात्र हैं उनके लिए यह कदम नुकसानदेह हो सकता है।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध डेटा की जांच की है और वर्तमान समय में यह कहना संभव नहीं है कि परीक्षा के परिणाम दूषित हुए हैं। CJI ने कहा कि परीक्षा के प्रश्नपत्र के लीक होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता, जो परीक्षा की पवित्रता में व्यवधान पैदा करता हो।

इसके अलावा अदालत ने कहा कि इस मामले में दोषी छात्रों को निर्दोष छात्रों से अलग किया जा सकता है और अगर जांच में धोखाधड़ी के लाभार्थियों की संख्या बढ़ती है, तो काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी ऐसे छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा, जो छात्र इस धोखाधड़ी में शामिल पाए जाएंगे या इसके लाभार्थी होंगे, वे प्रवेश में किसी भी निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकते।

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