मप्र विधानसभा में विपक्ष ने किया हंगामा, जमकर हुई धक्कामुक्की, विधायक का पजामा फटा
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के दूसरे दिन बुधवार को सदन की कार्रवाई हंगामे के साथ हुई। विपक्ष ने पोषण आहार मामले में गड़बड़ी को लेकर जमकर हंगामा किया। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर नोंक-झोक हुई। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने हंगामा कर रहे विपक्ष के नेताओं को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने और आसंदी के समाने हंगामा करते रहे। इसके चलते कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।
दरअसल, सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले बुधवार को विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायक पोषण आहार में गड़बड़ियों को लेकर तख्ती हाथ में लेकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें विधानसभा में अंदर जाने से रोक दिया। बताया गया है कि इस दौरान कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेडा, मनोज चावला, नीरज दीक्षित सहित अन्य के साथ धक्का-मुक्की की गई। सदन में कांग्रेस ने इस बात को लेकर विरोध जताया। आसंदी के समक्ष आए विधायकों ने कहा कि हमारा अपमान किया जा रहा है। पुलिस द्वारा उन्हें अपनी बात कहने से रोका जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि पोषण आहार मामले में भ्रम फैलाया जा रहा है। सदन के माध्यम से जनता के सामने स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। अध्यक्ष ने प्रश्नकाल के बाद मुख्यमंत्री को बोलने की अनुमति दी। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा विधायक पर कांग्रेस विधायक के साथ धक्का-मुक्की करने और मारपीट का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने जांच कराने का आश्वासन दिया, लेकिन कांग्रेस विधायक नहीं माने और आसंदी के समक्ष बैठकर नारेबाजी करने लगे। इस बीच पांचीलाल मेड़ा गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के पास पहुंचकर अपनी चोट बताने लगे तो भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा भी अपने स्थान से उठकर आसंदी के समक्ष आ गए और उन्होंने विरोध जताया, इस पर दोनों विधायक आमने-सामने आ गए।
कांग्रेस ने लगाया आरोप -
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने हंगामा कर रहे नेताओं से कहा कि विधानसभा की कार्यवाही पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी न की जाए। कमलनाथ के बयान को लेकर मंत्री गोपाल भार्गव ने सदन में आपत्ति जताई। इसको लेकर मंत्री गोपाल भार्गव और कांग्रेस विधायक बाला बच्चन के बीच सदन में तीखी बहस शुरू हो गई। माहौल को बिगड़ता देख डा. नरोत्तम मिश्रा बीच बचाव के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक की कॉलर पकड़ी, यह सहन नहीं करेंगे। गोविंद सिंह ने कहा कि यह तानाशाही है, यह सदन नहीं चलाना चाहते। इस पर नरोत्तम बोले कि बाहर जाकर गाल बजाते हैं। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा, मेरा आग्रह है कि पहले मुख्यमंत्री जी को अपनी बात कहने दें। इस पर विधायक कुणाल चौधरी बोले, ये चर्चा से क्यों भाग रहे हैं, बच्चों का निवाला गिद्ध की तरह खा गए। नेता प्रतिपक्ष बोले, स्थगन और नियम 139 के तहत चर्चा कराई जाए। सदन को गुमराह नहीं किया जाए। इस पर मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा, पहले प्रश्नकाल हो जाने दीजिए, उसके बाद चर्चा की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, प्रश्नकाल में पोषण आहार के मुद्दे को छोड़कर अन्य विषय पर वक्तव्य दें। इस पर सीएम बोलने के लिए उठे तो विपक्ष ने हंगामा कर दिया। उन्होंने कहा, मैंने इस विषय पर सारी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया। चर्चा से भागने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। तब नेता प्रतिपक्ष बोले, सदन रोककर पहले स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाए।
कांग्रेस विधायक हिना कांवरे और मंत्री भारत सिंह कुशवाह के बीच भी नोक-झोंक हुई। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा, कांग्रेस विधायक मनोज चावला को पुलिस ने पटका है। आदिवासी विधायक पांचीलाल मेढ़ा को भी रोका गया है। इस मुद्दे के उठने के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और विदिशा विधायक शशांक भार्गव के बीच तल्खी दिखी। विधानसभा अध्यक्ष ने आवेदन आने पर कार्यवाही करने की बात कहकर मामले को शांत करवाया। हालांकि दोपहर 12 बजे तक हंगामे के कारण दूसरी बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करनी पड़ी।
तीसरी बार सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो कमलनाथ ने कहा कि अभी भूपेंद्र सिंह ने जिक्र किया, मैं संसदीय कार्य मंत्री रहा हूं। आपको बता दूं कि मैं काफी समय तक संसदीय कार्य मंत्री रह चुका हूं, मुझे सबसे ज्यादा इसकी जानकारी है। यहां पर सीएम और मंत्री पहले बोल रहे हैं और बाद में हमें बोलने को कहा जा रहा है। इस पर सीएम बोले- कमलनाथ संसदीय ज्ञान के बड़े जानकर हैं। उन्होंने पूछा- क्या सरकार को यह हक नहीं कि बड़ी घटना को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर सरकार अपनी बात रख सके। सीएम बोले- मेरे वक्तव्य के बाद नेता प्रतिपक्ष बोलें-फिर हम जवाब देंगे। चर्चा से कोई भाग नहीं रहा है।
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह बोले- मुझे एक उदाहरण दे दीजिए, पहले कभी स्थगन के पहले चर्चा हुई हो। इस पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा- जो 15 स्थगन प्रस्ताव लगे हैं, उस पर चर्चा करा लीजिए, उसके बाद मुख्यमंत्री की बात सुन लेंगे। सीएम ने बोलना शुरू किया तो विपक्ष के विधायक उठकर खड़े हो गए। हंगामे के बीच सीएम ने भाषण जारी रखा। विपक्ष के विधायकों ने भी नारेबाजी जारी रखी। सीएम बोले- ये कैग की रिपोर्ट नहीं, सिर्फ एक ड्राफ्ट है। रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलती है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे। चाहे गड़बड़ी किसी के भी कार्यकाल में हुई हो। इसके बाद कांग्रेसी आसंदी के सामने धरने पर बैठ गए। इस बीच गृहमंत्री ने अध्यादेश पढ़ा। हालांकि हंगामे को देखते हुए विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सदन की कार्रवाई के संकेत होने के बावजूद भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने कांग्रेस विधायक पाची लाल मीणा की गर्दन पकड़ी और हाथ मरोड़ा। उन्होंने पूछा कि क्या एक विधायक का दूसरे विधायक के साथ ऐसा आचरण उचित है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने जांच कराने का आश्वासन दिया, लेकिन कांग्रेस विधायक नहीं माने और आसंदी के समक्ष बैठकर नारेबाजी करने लगे।हंगामा बढ़ता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल तक के लिए स्थगित कर दी।