विपक्ष ने वैक्सीन को बताया भाजपा की वैक्सीन, फिर भी लगवाई, अब हो रहे हैं ट्रोल

विपक्ष ने वैक्सीन को बताया भाजपा की वैक्सीन, फिर भी लगवाई, अब हो रहे हैं ट्रोल
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सपा नेता अखिलेश यादव के बयान "ये भाजपा की वैक्सीन है" पर सभी ने मिलाया था सुर

नईदिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों और केंद्र सरकार के सहयोग से देश को वैक्सीन मिली। जोकि इस महामारी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हुआ। विश्व के कई देशों ने ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन कर महामारी के प्रसार और इसकी भयावहता पर नियंत्रण पा लिया है। केंद्र सरकार ने साल की शुरुआत में जनवरी में ही टीकाकरण अभियान की शुरुआत कर दी थी।

केंद्र सरकार ने दूसरी लहर के आने की आशंका को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगवाने का प्रयास शुरू कर दिया था। लेकिन विपक्ष ने राजनीतिक साजिश के तहत आमजनों में वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाना शुरू कर दिया। कई नेताओं ने अपने शानदार बुद्धिजीवी होने का परिचय देते हुए वैक्सीन को भाजपा की वैक्सीन करार दे दिया। इनमें उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव का नाम प्रमुखता से शामिल है। अब यदि सूत्रों की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर में बरपे कहर को देखकर नेताजी चुपके से स्लॉट बुक कर वैक्सीन लगवा आए है।

वहीँ कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने वैक्सीन को लेकर कहा था कि नरेंद्र मोदी भारतीयों को गिनी पिग बना रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था - " वैक्सीन प्रोग्राम शुरू हो चुका है. ये थोड़ा सा पेचीदा है. भारत के पास ऐसा कोई नीतिगत फ्रेमवर्क नहीं है जो वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति देता हो. फिर भी आपातकालीन स्थिति में दो वैक्सीनों के प्रतिबंधित उपयोग को अनुमति दे दी गई. दूसरी तरफ कोवैक्सीन की अपनी एक अलग कहानी है. बिना प्रक्रिया पूरी हुए ही अप्रूवल दे दिया गया। "


छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री ने यहां तक कह दिया कि वह अपने यहां कोविशील्ड को मंजूरी नहीं देंगे क्योंकि उन्हें इस पर विश्वास नहीं है। कांग्रेस नेताओं द्वारा फैलाए गए इस भ्रम के बीच पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ मनमोहन सिंह ने वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए। इसके बाद इन्होंने वैक्सीन की कमी और बच्चों की वैक्सीन का राग छेड़ दिया।

आप पार्टी ने उठाए सवाल -

इसी तरह आम आदमी पार्टी के आईटी सेल के संयोजक अंकित लाल ने वैक्सीन पर सवाल उठाते हुए तमाम ट्वीट किए थे। वहीँ आप प्रवक्ता राघव चड्डा ने एक ट्वीट में कहा कि आखिर मोदी को वैक्सीन की इतनी जल्दी क्या है। जहां एक और आम आदमी पार्टी के नेता न्यूज चैनल की डिबेट्स और ट्विटर पर कमी निकालकर लोगों को भ्रमित कर रहें थे, वहीँ आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सपरिवार वैक्सीन के डोज लगवाएं। उन्होंने अपन माता - पिता, स्वयं और पत्नी द्वारा वैक्सीन लगवाने की जानकारी सार्वजनिक भी की।


ऐसे में इन नेताओं से प्रश्न है की जब आप के शीर्ष नेताओं को भी वैक्सीन पर विश्वास है और वे लगवा रहें है। तो फिर आप क्यों सवाल खड़े कर लोगों के मन में आशंका के बीच बोने का काम कर रहें है।

मीडिया ने भी की आलोचना -

राजनीतिक दलों द्वारा सत्ता में पहुंच की महत्वाकांक्षा के कारण विरोध करना और मुद्दों को तलाशने का उद्देश्य समझ आता है लेकिन पत्रकार और संतों का इस श्रेणी में शामिल हो जाना हतप्रभ करता है। टीवी एंकर और News24 के पत्रकार संदीप चौधरी ने देश में शुरू हुए टीकाकरण अभियान पर अपने कार्यक्रम में कई सवाल उठाएं थे। एक न्यूज कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता से टिके की विश्वनीयता पर खुलकर बहस कर सवाल दागे थे। उन्होंने इस डिबेट में यहां तक कह दिया था की आप बीजेपी वाले हैं ...आपको भारत में बनी वैक्सीन पर भरोसा है ....आप वैक्सीन लगवाईये ....मैं तो बिल्कुल नहीं लगवाउंगा ...क्योंकि मुझे वैक्सीन पर बिल्कुल भरोसा नही है।

आचार्य प्रमोद कृष्णन -


वहीँ कथित संत आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी भारतीय वैक्सीनों का मजाक बनाया था। उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर 6 दिसम्बर 2020 को वैक्सीन को लेकर एक पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने भारतीय वैक्सीन को खुलेआम फर्जी वैक्सीन कहा था। इसके चार माह बाद 9 अप्रैल को खुद ने वैक्सीन की डोज लगवाई। इसी कड़ी में वामपंथी कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने भारत की वैक्सीन का बेहद अभद्र कार्टून बनाया उस कार्टून के अनुसार भारत की वैक्सीन पानी और ग्लूकोस का मिश्रण भर बताया था।

समाज में फैलाई नकरात्मकता -

विपक्ष के नेताओं ने वैक्सीन के प्रति नकरात्मकता को इतना फैलाया की लोगों का मन हजारों आशंकाओं और संदेहों से भर गया। कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया की यदि वैक्सीन कारगर है तो खुद मोदी क्यों नहीं लगवा रहे।विपक्ष के इन आरोपों को गलत साबित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी एवं अन्य सभी केंद्रीय मंत्रियों ने दूसरे चरण में टीके की डोज लगवा लिए। जिसके बाद समाज का पढ़ा- लिखा और बुद्धिजीवी वर्ग वैक्सीन लगवाने के लिए सक्रिय हुआ और आज बड़ी संख्या में रोजाना लोगों को टीके लगाए जा रहें हैं।

वर्ग विशेष में बना डर -

दूसरी ओर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों और कम शिक्षित वर्ग के लोगों के मन में टीके को लेकर अब भी डर और आशंका का माहौल बना हुआ है। जिसके कारण समाज का एक बड़ा वर्ग वैक्सीन नहीं लगवा रहा है। उसका रवैया टीकाकरण के प्रति उदासीन बना हुआ है। जनप्रतिनिधियों,समाज सेवियों, चिकित्सकों, अधिकारीयों द्वारा वैक्सीन के प्रति समझाइश देने के बाद भी ये लोग वैक्सीन सेंटर तक नहीं पहुंच रहें है।

प्रधानमंत्री के धुर विरोधियों ने लगवाई वैक्सीन -


उल्लेखनीय बात ये है की जब विपक्षी नेता और विरोधी वैक्सीन को लेकर नकरात्मकता फैलाने का कार्य कर रहे थे। वहीँ दूसरी ओर उनमें से कुछ ने सभी की नजरों से छिपकर वैक्सीन लगवाई। जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत, एआईएमआईएम के नेता असुद्दीन ओवैसी, सहित कई कांग्रेस और वामपंथी नेताओं का नाम शामिल है।

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