RSS: मणिपुर में लोगों की सेवा में जुटा संघ, सरसंघचालक मोहन भागवत बोले सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं, फिर भी हमारे कार्यकर्ता…

मणिपुर में लोगों की सेवा में जुटा संघ, सरसंघचालक मोहन भागवत बोले सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं, फिर भी हमारे कार्यकर्ता…
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को मणिपुर की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि मणिपुर में परिस्थितियां कठिन बनी हुई हैं। स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वहां कारोबार या सामाजिक सेवा के लिए गए लोगों के लिए माहौल अधिक चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद संघ के कार्यकर्ता दोनों गुटों (कुकी और मैतेई) की मदद और माहौल सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं।

कार्यकर्ता न तो वहां से भागे, न ही हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे। वे जनजीवन सामान्य करने, गुस्सा कम करने और राष्ट्रीय एकता की भावना बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

मोहन भागवत मणिपुर में काम करने वाले आरएसएस प्रचारक स्वर्गीय शंकर दिनकर काणे भैयाजी की शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर थे।

स्वर्गीय शंकर दिनकर काणे t ने 1971 तक बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया था, बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा के लिए हर संभव सहायता की थी।

मणिपुर में लोगों की सेवा में जुटा संघ

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि "मणिपुर में स्थिति अत्यंत गंभीर है। जब स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित हैं, तो वहां व्यापार या सामाजिक कार्य के लिए गए लोगों के लिए स्थिति कठिन है। ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद, आरएसएस के स्वयंसेवक मणिपुर से भागे नहीं हैं। वे अपनी जमीन पर डटे हुए हैं और लोगों की सेवा कर रहे हैं।" आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि उनके स्वयंसेवक समाज सेवा प्रदान करने में चयनात्मक नहीं हैं।

उन्होंने कहा, "वे क्रोध को कम करने और राष्ट्रीय एकता को जगाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। साथ ही वे लोगों का विश्वास जीतने के लिए जितना संभव हो सकें इसकी पूरी कोशिश कर रहे हैं।"

आरएसएस प्रमुख आगे कहा कि जब 40 साल पहले स्थिति बदतर थी, तब आरएसएस के लोग वहीं रुके, काम किया और स्थिति को बदलने में मदद की। संघ के सदस्य, चाहे वे स्वयंसेवक हों या प्रचारक, वहां गए, उस क्षेत्र का हिस्सा बन गए और परिवर्तन लाने के लिए काम किया। भारत के लिए जो सपना देखा गया है, उसे साकार करने में दो और पीढ़ियां लगेंगी।

उन्होंने कहा, “इस रास्ते में हमें उन लोगों की ओर से बाधाओं का सामना करना पड़ेगा जो भारत के उत्थान से ईर्ष्या करते हैं। लेकिन हमें इन बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ना होगा।”

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