घाटी में कोरोना फैलाने की साजिश रच रहा पाक
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि ये बात सामने आई है कि अब तक आतंकवादी एक्सपोर्ट करने वाला पाकिस्तान अभी कोरोना के मरीज भी एक्सपोर्ट करेगा। कश्मीर में लोगों के बीच इन्फेक्शन फैलाएगा। इसमें एहतियात बरतने की जरूरत है। वह बुधवार को जम्मू के गंदरबल के मणिगाम में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के अंदर क्वारंटाइन सेंटर का जायजा लिया।
वहीं पाकिस्तान ने अपनी निगरानी सूची से करीब 4000 आतंकवादियों के नामों को हटा दिया है। इस सूची से उन लोगों के नाम भी हटाए गए हैं, जो 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के प्रमुख योजनाकार थे। एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) स्टार्टअप ने इस बात का खुलासा किया है।
पाकिस्तान भारत और दुनिया के अन्य कई हिस्सों में अपने आतंकवादियों को हमले के लिए भेजता रहा है। इस मामले में उसका पुराना इतिहास रहा है। इसी वजह से आतंकी फंडिंग के लिए वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा है।
आतंकी फंडिंग पर लगाम कसने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों से असंतुष्ट होकर एफएटीएफ ने फरवरी में कहा था कि ग्रे लिस्ट से बाहर होने के लिए इस्लामाबाद ने 27 में से केवल 14 बिंदुओं का पालन किया। अब एफएटीएफ को जून में पाकिस्तान की प्रगति का फिर से मूल्यांकन करना है।
न्यूयॉर्क स्थित स्टार्टअप 'कैस्टेलम' ने पाया है कि पिछले डेढ़ साल में बिना स्पष्टीकरण या अधिसूचना के पाकिस्तान ने 3800 आतंकवादियों के नामों को अपनी निगरानी सूची से हटा दिया है। कैस्टेलम की रिपोर्ट में बताया गया है कि इमरान खान सरकार ने नौ मार्च के बाद से अपनी आतंकवादी निगरानी सूची (वॉचलिस्ट) से बिना किसी सार्वजनिक स्पष्टीकरण के लगभग 1800 नामों को हटा दिया है।
इस सूची से लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और मुंबई हमलों के कथित मास्टरमाइंड जका उर-रहमान समेत कई बड़े आतंकियों के नाम हटाए गए हैं। एफएटीएफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान की आतंकवादी निगरानी सूची में लगभग 7600 नाम थे। वहीं, 15 अप्रैल को पाकिस्तानी अखबार के एक लेख में यह बताया गया था कि सूची से नाम इसलिए हटाए गए हैं, क्योंकि उसमें 7000 से अधिक ऐसे कई नाम थे, जिसमें कई गलतियां थीं। उसमें बताया गया कि कई नाम ऐसे थे, जिनकी मौत हो गई थी या नाम में बड़ी गलतियां थीं।