लोकसभा में गूंजा पेगासस फोन टेपिंग मामला, सरकार ने कहा - जासूसी के आरोप गलत

लोकसभा में गूंजा पेगासस फोन टेपिंग मामला, सरकार ने कहा - जासूसी के आरोप गलत
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लोकसभा कल 11 बजे तक के लिए स्थगित

नईदिल्ली। संसद का मानसून सत्र का पहला दिन आज बेहद हंगामे भरा रहा। सुबह प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रिमंडल के नए सदस्यों का सदन से परिचय कराते समय विपक्ष के सांसदों ने जमकर हंगामा किया और कार्यवाही नहीं चलने दी। बार - बार हो रहे हंगामे को देखकर सदन की बैठक कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले पेगासस फोन टैपिंग मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ।

केंद्रीय रेल और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा की रविवार की रात को एक न्यूज पोर्टल ने एक सनसनीखेज खबर प्रकाशित की।संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले इस स्टोरी को लाया गया। यह सब संयोग नहीं हो सकता। पहले भी वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्ट्स में भी कोई फैक्ट नहीं थे और उन्हें सभी ने नकार दिया था। 18 जुलाई को छपी रिपोर्ट भारत के लोकतंत्र और उसके संस्थानों की छवि खराब करने की कोशिश दिखाई देती है।'

अवैध निगरानी संभव नहीं -

उन्होंने कहा की हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है। भारत में, एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध संचार किया जाता है। भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध इंटरसेप्ट के लिए अनुरोध प्रासंगिक नियमों के अनुसार किए जाते हैं। इंटरसेप्ट के प्रत्येक मामले को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाता है। जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेजता के पीछे कोई सार नहीं है।

ये है मामला -

बता दें की रविवार को इजराइली कंपनी के पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा पत्रकार, विपक्षी नेताओं सहित कई लोगों के फोन टेपिंग कराने का मामला सामने आया था। जिसे सरकार ने ख़ारिज करते हुए कहा डेटा में फोन नंबर्स की मौजूदगी से हैक की पुष्टि नहीं होती।कांग्रेस ने इस मामले में स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है।

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