विश्व में विकास का एजेंडा कुछ लोगों तक सीमित नहीं होना चाहिए : प्रधानमंत्री
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि विश्व में विकास का एजेंडा कुछ लोगों तक सीमित नहीं होना चाहिए। अतीत के संघर्ष का रास्ता त्याग कर हम सबको मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत-जापान संवाद कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्तीय समावेशन को वैश्विक स्तर पर प्रकट करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विकास की चर्चा कुछ देशों के बीच सीमित नहीं रहनी चाहिए। हमारा एजेंडा व्यापक होना चाहिए और हमारा विकास मानव केंद्रित दृष्टिकोण से ओत-प्रोत होना चाहिए।मोदी ने कहा कि अतीत में दुनिया मिलकर चलने के बजाय संघर्ष के मार्ग पर चलती रही, जिससे साम्राज्यवाद और विश्वयुद्ध जैसी स्थितियां पैदा हुई। दुनिया हथियारों की होड़ से लेकर अंतरिक्ष की दौड़ में लग गई। इस दौरान हमने संवाद का रास्ता भी अपनाया लेकिन उसमें भी हम दूसरों को नीचा दिखाने में लग गए। अब समय है कि सब साथ मिलकर आगे बढ़ें।
प्रधानमंत्री ने भविष्य को सीखने-सिखाने और नवाचार अपनाने का युग बताया और कहा कि इसमें ऐसा करने वाले ही आगे बढ़ेंगे। उन्होंने युवाओं को शिक्षित कर मानवता के लिए योगदान को प्रेरित करने की बात कही।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जापान संवाद अपने मूल उद्देश्य पर खरा साबित हुआ है और इसने बातचीत और संवाद को प्रोत्साहित करते हुए हमारे साझा मूल्यों, आध्यात्मिक और विद्वत्तापूर्ण विमर्श की प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने बौद्ध साहित्य और पांडुलिपियों की एक लाइब्रेरी बनाए जाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि यह भारत में निर्मित होगी और इसके लिए उचित संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। इस लाइब्रेरी में न केवल साहित्य का एक भंडार होगा बल्कि यह शोध और संवाद का एक मंच भी होगा। पुस्तकालय में विभिन्न देशों के बौद्ध साहित्य की डिजिटल प्रतियां एकत्र की जाएगी। इसका उद्देश्य उनका अनुवाद करना और इसे सभी के लिए उपलब्ध कराना होगा।प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बुद्ध की विरासत को विशेषकर युवाओं में इसे बढ़ावा देने को लेकर इस मंच की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बुद्ध के संदेश भारत से दुनिया के कई देशों में पहुंचे हैं।उल्लेखनीय है कि 2015 में बोधगया में संवाद का प्रथम संवाद आयोजित किया गया था।