दीदी की भाषा बंगाल की संस्कृति को शर्मसार करने वाली है : प्रधानमंत्री
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में पांचवें चरण के मतदान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगारामपुर विधानसभा क्षेत्र में छटवें चरण के लिए दूसरी सभा की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोलते हुए उनके वे सभी भाषण जनता को बताएं, जिनमें ममता ने पीएम मोदी के लिए अपशब्द कहें थे। प्रधानमंत्री ने कहा की पीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री मुझे गालियां देती हैं, इससे कोई दिक्कत नहीं लेकिन उनकी भाषा बंगाल की संस्कृति को शर्मसार कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा की दो मई को दीदी गई। दीदी की कड़वाहट के अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। मोदी ने कहा, "मैं दीदी से सवाल करता हूं, तो दीदी कहती हैं कि मोदी से कान पकड़ कर उठक-बैठक कराऊंगी। दीदी, बंगाल की जनता को लूटने वाले तोलाबाजी करने वालों के और अपने प्रिय भाइपो से उठक-बैठक कराती तो आपको यह दिन नहीं देखने पड़ते। आज हालत यह है कि दीदी की सुबह और शाम मोदी को गोली दिए बिना शुरू नहीं होती है और न ही खत्म होती है।"
दुर्योधन - दुशासन से तुलना की -
उन्होंने आगे कहा, "दीदी ने इस चुनाव में जो गाली दिए हैं वह दोहराने चाहते हैं। 19 मार्च को दीदी ने कहा कि वह मोदी का चेहरा नहीं देखना चाहती हैं। दोदी ने पीएम की तुलना दुर्योधन, दुशासन जैसे लोगों से कर दी। 20 मार्च को मुझे श्रमिकों का हत्यारा और दंगा करने वाला बताया। 24 मार्च को बताया कि देश का पीएम झूठा है। पीएम सिंडिकेट से जुड़ा है। 25 मार्च को दीदी ने मुझे जो गाली दी उसे मजबूरी में दोहरा रहा हूं। 26 मार्च को दीदी ने कहा कि देश में केवल मोदी की दाढ़ी बढ़ रही है मोदी का स्क्रू ढीला हो गया है। चार अप्रैल को दीदी इस बात पर भड़क गई कि बंगाल में बीजेपी की सरकार बनेगी। कहा क्या मैं भगवान हूं? सुपर ह्ययूमैन हूं? 13 अप्रैल को मंद बुद्धि और झूठा कहा।"
गालियों से दिक्क्त नहीं -
मोदी ने कहा कि दीदी की गालियों से मुझे कोई दिक्कत नहीं है। दीदी आप मुझे जितना गाली देनी है दीजिए,लेकिन कम से कम बंगाल की महान परंपरा और संस्कृति को बंगाल के कल्चर को मेहरबानी कर नहीं भूले। देश की जनता बंगाल की समृद्ध विरासत, यहां के लोगों की वाणी पर गर्व करती है। दीदी की इन गालियों से मोदी का अपमान किया है, बंगाल की कल्चर, यहां की मिठास भरी भाषा को शर्मशार कर दिया। मोदी ने कहा कि सभी चरणों में बंगाल के लोगों ने निर्भीक होकर मतदान किया है।
दो मई, दीदी गई-
जीवन में कई दशकों के बाद निर्भीक होकर वोट करने का मौका आया है। ठप्पा बाजी से मुक्त होकर बंगाल के लोग मतदान का आनंद ले रहे हैं। दो मई, दीदी गई। दो मई को दीदी का जाना तय हो चुका है। दीदी की कड़वाहट की राजनीति के कुछ ही दिन बचे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि दीदी को मां गंगा और श्री राम दोनों ही नामों से नफरत है। गंगा के किनारे रहने वालों का अपमान करती हैं। राम से नफरत इतनी बढ़ गई है कि रामधेनु पर राजनीति का प्रयास किया है। दीदी की दुर्भावना और तुष्टिकरण की नीति का परिणाम है कि यह क्षेत्र विकास के पैमाने पर पीछे रह गया ह। दीदी जैसे लोग तुष्टिकरण के नाम पर विश्वासघात कर रहे हैं। दीदी ने भाइपो की आकांक्षा और करियर के लिए बंगाल के लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लगा दिया।