प्रधानमंत्री ने गरीबों को बांटी भूमि, कहा- आत्मनिर्भर भारत के लिए पूर्वोत्तर का विकास आवश्यक

प्रधानमंत्री ने गरीबों को बांटी भूमि, कहा- आत्मनिर्भर भारत के लिए पूर्वोत्तर का विकास आवश्यक
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गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज असम के शिवसागर पहुंचे। मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने यहां स्वदेशी लोगों को भूमि आवंटन प्रमाण पत्र वितरित किए।प्रधानंमंत्री ने कहा की आज असम की सरकार ने आपके जीवन की बड़ी चिंता दूर की है। 1 लाख से ज्यादा मूल निवासी परिवारों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार मिलने से आपके जीवन की बड़ी चिंता अब दूर हो गई है।

उन्होंने कहा आज पराक्रम दिवस पर पूरे देश मे अनेक कार्यक्रम भी शुरू हो रहे हैं। इसलिए एक तरह से आज का दिन उम्मीदों के पूरा होने के साथ ही, हमारे राष्ट्रीय संकल्पो की सिद्धि के लिए प्रेरणा लेने का भी अवसर है।असम में जब हमारी सरकार बनी तो उस समय भी यहां करीब 6 लाख मूल निवासी परिवार जिनके पास ज़मीन के कानूनी कागज़ नहीं थे। लेकिन सर्वानंद सोनोवाल जी के नेतृत्व में यहां की सरकार ने आपकी इस चिंता को दूर करने के लिए गंभीरता के साथ काम किया।

आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब घर-परिवार में भी सुविधाएं मिलती है -

आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब घर-परिवार में भी सुविधाएं मिलती हैं और बाहर का इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधरता है। बीते सालों में इन दोनों मोर्चों पर असम में अभूतपूर्व काम किया गया है।5 साल पहले तक असम के 50 प्रतिशत से भी कम घरों तक बिजली पहुंची थी, जो अब करीब 100% तक पहुंच चुकी है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 1.5 साल में असम में 2.5 लाख से ज्यादा घरों में पानी का कनेक्शन दिया गया है।

आत्मनिर्भर भारत के लिए नाॅर्थ-ईस्ट का तेज़ विकास आवश्यक-

आत्मनिर्भर भारत के लिए नाॅर्थ-ईस्ट का तेज़ विकास आवश्यक है। आत्मनिर्भर असम का रास्ता असम के लोगों के आत्मविश्वास से होकर गुजरता है और आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब परिवार में सुविधाएं मिलती हैं, राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधरता है। बीते सालों में असम में इन पर अभूतपूर्व काम हुआ। ऐतिहासिक बोडो समझौते से अब असम का एक बहुत बड़ा हिस्सा शांति और विकास के मार्ग पर लौट आया है। समझौते के बाद हाल में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के पहले चुनाव हुए। अब बोडो टेरिटोरियल काउंसिल विकास और विश्वास के नए प्रतिमान स्थापित करेगी।

भारत में बने टीके की मांग तेज -

भारत में बने टीके की मांग पूरी दुनिया में हो रही है। भारत में अब तक लाखों लोग टीका लगवा चुके हैं, हमें टीका भी लगवाना है और सावधानी भी जारी रखनी है।

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