प्रधानमंत्री मोदी ने मैत्री सेतु का उद्घाटन किया, कहा - त्रिपुरा विकास पथ पर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज त्रिपुरा में हुए विकास कार्यों को गिनाते हुए इसे 'डबल इंजन' की सरकारों (केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार) का कमाल बताया। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में 'डबल इंजन' की सरकार नहीं है वहां गरीबों, किसानों और महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए चल रही योजनाओं का कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है। जबकि त्रिपुरा को मजबूत करने के लिए 'डबल इंजन' सरकार काम कर रही है।
मैत्री सेतु का उद्घाटन -
मोदी ने आज दोपहर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ दोनों देशों के बीच 'मैत्री सेतु' का उद्घाटन किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान त्रिपुरा में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
'हीरा' (हाईवे, आईवे, रेलवे और एयरवे) विकास
प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रिपुरा पिछली सरकारों के 30 वर्षों और पिछले तीन वर्षों की 'डबल इंजन' सरकार के बीच स्पष्ट अंतर का अनुभव कर रहा है। पहले के वर्षों के भ्रष्टाचार और कमीशन संस्कृति के स्थान पर अब लाभार्थियों के खातों में सीधे पैसा पहुंच रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में संपर्क संबंधी बुनियादी ढांचे में जबरदस्त सुधार हुआ है। उन्होंने त्रिपुरा में 'हीरा' (हाईवे, आईवे, रेलवे और एयरवे) विकास की बात करते हुए हवाई अड्डे के लिए तेजी से काम, त्रिपुरा में इंटरनेट के लिए सी-लिंक, रेल लिंक और जलमार्ग का उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों पुरानी ब्रू शरणार्थी समस्या का सरकार के प्रयासों के कारण हल मिल पाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 600 करोड़ रुपये का पैकेज ब्रू लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा। प्रधानमंत्री ने राज्य की समृद्ध विरासत को छूते हुए कहा कि महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य के बाद अगरतला हवाईअड्डे का नाम बदलना त्रिपुरा के विकास के लिए उनकी दृष्टि का सम्मान है।
क्या है मैत्री सेतु -
'मैत्री सेतु' पुल फेनी नदी पर बनाया गया है। ये नदी त्रिपुरा और बांग्लादेश में भारतीय सीमा के बीच बहती है। 'मैत्री सेतु' नाम भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते द्विपक्षीय और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने रखी एकीकृत जांच चौकी की आधारशीला -
प्रधानमंत्री मोदी ने सबरूम में एकीकृत जांच चौकी स्थापित करने के लिए आधारशिला भी रखी। यह दोनों देशों के बीच माल और यात्रियों की आवाजाही को आसान बनाने में मदद करेगा, पूर्वोत्तर राज्यों के उत्पादों के लिए नए बाजार के अवसर प्रदान करेगा और भारत और बांग्लादेश के यात्रियों की निर्बाध आवाजाही में सहायता करेगा। यह परियोजना भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण द्वारा लगभग 232 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनायी जा रहा है।