प्रधानमंत्री का संसद में आखिरी भाषण, बताया- 75 साल के इतिहास में आपातकाल से लेकर आतंकी हमले तक क्या-क्या देखा ?
नईदिल्ली। संसद का विशेष सत्र आज सोमवार से शुरू हो गया है। इस स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। संसद सत्र की पहले दिन की कार्यवाही आज पुराने संसद भवन में ही हो रही है। कल से नए संसद भवन में बैठक होगी। सत्र शुरू होते ही सबसे पहले राष्ट्रगान हुआ और फिर राज्यसभा के नए सदस्यों को शपथ दिलाई गई।संसद में आज पुराने भवन की 75 साल संसदीय यात्रा पर चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की।
प्रधानमंत्री ने कहा "देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले, उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है।ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था। लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों के लगा था।75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है।"
पुराना भवन प्रेरणा देगा -
उन्होंने आगे कहा कि हम भले ही नए भवन में जाएंगे। लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।अमृतकाल की प्रथम प्रभा का प्रकाश, राष्ट्र में एक नया विश्वास, नया आत्मविश्वास, नई उमंग, नए सपनें, नए संकल्प और राष्ट्र का नया सामर्थ्य उसे भर रहा है। आज चारों तरफ भारतवासियों की उपलब्धि की चर्चा गौरव के साथ हो रही है।चंद्रयान-3 की सफलता से आज पूरा देश अभिभूत है। इसमें भारत के सामर्थ्य का एक नया रूप जो आधुनिकता, विज्ञान,तकनीक, हमारे वैज्ञानिकों और जो 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है। वो देश और दुनिया पर नया प्रभाव पैदा करने वाला है।
उन्होंने आगे कहा कि G20 की सफलता किसी व्यक्ति या दल की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है।भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थाई सदस्य बना।हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत 'विश्व मित्र' के रूप में अपनी जगह बना पाया है। आज पूरा विश्व, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है।इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है।हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है।
संसद भवन में प्रवेश का भावुक पल
पीएम ने आगे कहा- "जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था।मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया।"
जनता के लिए दरवाजे खोलिए
उन्होंने आगे कहा कि 'हमारे यहां संसद भवन के गेट पर लिखा है, जनता के लिए दरवाजे खोलिए और देखिए कि कैसे वो अपने अधिकारों को प्राप्त करते हैं। हम सब और हमारे पहले जो रहे वो इसके साक्षी रहे हैं और हैं। वक्त के साथ संसद की संरचना भी बदलती गई। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधि विविधताओं से भरा हुआ। इस भवन में नजर आता है। समाज के सभी तबके के लोगों का यहां योगदान रहा है।'
संसद भवन पर आतंकी हमला -
उन्होंने आगे कहा कि "लोकतंत्र के सदन में आतंकी हमला हुआ था। यह हमला इमारत पर नहीं बल्कि हमारी जीवात्मा पर हमला हुआ था। ये देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता। आतंकियों से लड़ते हुए जिन सुरक्षाकर्मियों ने हमारी रक्षा की, उन्हें कभी नहीं भूला जा सकता।"
पत्रकारों को किया याद -
उन्होंने आगे कहा कि, " जब आज हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तब उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं जो संसद की रिपोर्टिंग करते रहे। कुछ तो ऐसे रहे जिन्होंने पूरी जिदंगी संसद को रिपोर्ट किया है। पहले यह तकनीक उपलब्ध नहीं थी, तब वही लोग थे। उनका सामर्थ्य था कि वे अंदर की खबर पहुंचाते थे और अंदर के अंदर की भी (खबर) पहुंचाते थे।"