निडर, बेबाक, साहसी और आकांक्षी युवा राष्ट्र निर्माण की नींव : प्रधानमंत्री
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विवेकानंद जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय युवा संसद को संबोधित किया।इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की आज का ये दिन विशेष इसलिए भी हो गया है कि इस बार युवा संसद देश की संसद के सेंट्रल हॉल में हो रही है।ये सेंट्रल हॉल हमारे संविधान के निर्माण का गवाह है।
उन्होंने युवाओं को युवा दिवस की शुभकामना देते हुए कहा स्वामी विवेकानंद की जन्म जयंती के ये दिन हम सभी को नई प्रेरणा देता है।स्वामी विवेकानंद जी के विचार इतने प्रेरणादायक है कि देश के युवाओं को संगठित कर राष्ट्र निर्माण का मार्ग दिखा रहे हैं।स्वामी विवेकानंद ने एक और अनमोल उपहार दिया है। ये उपहार है, व्यक्तियों के निर्माण का, संस्थाओं के निर्माण का। इसकी चर्चा बहुत कम ही हो पाती है। लोग स्वामी जी के प्रभाव में आते हैं, संस्थानों का निर्माण करते हैं, फिर उन संस्थानों से ऐसे लोग निकलते हैं जो स्वामी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नए लोगों को जोड़ते चलते हैं।
निडर, बेबाक, साहसी और आकांक्षी युवा राष्ट्र निर्माण की नींव -
स्वामी जी कहते थे, पुराने धर्मों के मुताबिक नास्तिक वो है जो ईश्वर में भरोसा नहीं करता।लेकिन नया धर्म कहता है, नास्तिक वो है जो खुद में भरोसा नहीं करता।ये स्वामी जी ही थे, जिन्होंने उस दौर में कहा था कि निडर, बेबाक, साफ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिस पर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है।वो युवाओं पर, युवा शक्ति पर इतना विश्वास करते थे।हमारा युवा खुलकर अपनी प्रतिभा और अपने सपनों के अनुसार खुद को विकसित कर सके इसके लिए आज एक माहौल और इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था हो, सामाजिक व्यवस्था हो या कानूनी बारीकियां, हर चीज में इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है।
राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा -
आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है। ईमानदारी और प्रदर्शन आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है। भ्रष्टाचार जिनकी पहचान थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है। वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उभर नहीं पा रहे हैं।जो समाज संकटों में भी प्रगति के रास्ते बनाना सीख लेता है, वो समाज अपना भविष्य खुद लिखता है। इसलिए, आज भारत और 130 करोड़ भारतवासी अपना उत्तम भविष्य खुद गढ़ रहे हैं।