प्रधानमंत्री मोदी ने मप्र को दिया एशिया का सबसे बड़ा गोबर प्लांट, बनेगी सीएनजी
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इंदौर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार पशुपालन क्षेत्र में किसानों को लाभान्वित करने के लिए आगामी दो वर्षों में देश के 75 बड़े नगर निकायों में बायो-सीएनजी आधारित "गोबर-धन संयंत्र" शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। ये अभियान भारत के शहरों को स्वच्छ और प्रदूषण रहित बनाने की दिशा में मददगार साबित होगा।
प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नगरपालिका कचरे के प्रसंस्करण के लिए इंदौर में 550 टन क्षमता वाले एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी "गोबर-धन संयंत्र" का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह संयंत्र अन्य शहरों को भी ऐसे प्लांट लगाने के लिए प्रेरित करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के शहरों में लाखों टन कूड़ा दशकों से हजारों एकड़ भूमि घेरे हुए है। ये शहरों के लिए वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की भी बड़ी वजह है। इसलिए स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में इस समस्या से निपटने के लिए काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "शहर में घरों से निकला गीला कचरा हो, गांव में पशुओं-खेतों से मिला कचरा हो, ये सब एक तरह से गोबरधन ही है। शहर के कचरे और पशुधन से गोबरधन, फिर गोबरधन से स्वच्छ ईंधन, फिर स्वच्छ ईंधन से ऊर्जाधन, ये श्रंखला, जीवनधन का निर्माण करती है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी चुनौती से निपटने के दो तरीके होते हैं। पहला उस चुनौती का तात्कालिक समाधान कर दिया जाए और दूसरा उस चुनौती से ऐसे निपटा जाए कि सभी को स्थाई समाधान मिले। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सात वर्षों में उनकी सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, वो स्थाई समाधान देने वाली होती हैं। उन्होंने कहा कि कितने ही लोग तो केवल ये देखने इंदौर आते हैं कि देखें, सफाई के लिए आपके यहां काम हुआ है। जहां स्वच्छता होती है, पर्यटन होता है, वहां पूरी एक नई अर्थव्यवस्था चल पड़ती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास भारत के ज्यादा से ज्यादा शहरों को वाटर प्लस बनाना है। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 7-8 साल पहले भारत में एथेनॉल का मिश्रण सिर्फ 1 से 2 प्रतिशत ही हुआ करता था जो आज करीब 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच रहा है। बीते सात वर्षों में मिश्रण के लिए एथेनॉल की सप्लाई को भी बहुत ज्यादा बढ़ाया गया है।
पराली जलाने की समस्या का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि इस बजट में पराली से जुड़ा एक अहम फैसला किया है। ये तय किया गया है कि कोयले से चलने वाले बिजली कारखानों में पराली का भी उपयोग किया जाएगा। इससे किसान की परेशानी तो दूर होगी ही, खेती के कचरे से किसान को अतिरिक्त आय भी मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत देवी अहिल्या बाई होल्कर का स्मरण करते हुये कहा कि इंदौर का नाम आते ही सबसे पहले देवी अहिल्याबाई होल्कर, माहेश्वर और उनके सेवाभाव का ध्यान आता था। समय के साथ इंदौर बदला, ज्यादा अच्छे के लिए बदला, लेकिन देवी अहिल्या की प्रेरणा को खोने नहीं दिया। देवी अहिल्या के साथ ही आज इंदौर का नाम आते ही मन में स्वच्छता और नागरिक कर्तव्य भी आता है।
प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी विश्वनाथ में देवी अहिल्या बाई होल्कर की प्रतिमा का जिक्र करते हुये कहा कि मुझे खुशी है कि काशी विश्वनाथ धाम में देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा रखी गई है। इंदौर के लोग जब बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जाएंगे, तो उन्हें वहां देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी दिखेगी। आपको अपने शहर पर और गर्व होगा।प्रधानमंत्री ने इस दौरान इंदौर सहित देशभर के लाखों सफाई कर्मियों का भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस मुश्किल समय में भी आपने जो सेवाभाव दिखाया है, उसने कितने ही लोगों का जीवन बचाने में मदद की है।
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किये गये "गोबर-धन संयंत्र" में प्रतिदिन 550 टन अलग किए हुए गीले जैविक कचरे को ट्रीट करने की क्षमता है। इससे प्रतिदिन लगभग 17,000 किलोग्राम सीएनजी और प्रतिदिन 100 टन जैविक खाद का उत्पादन होने की उम्मीद है। ये संयंत्र जीरो लैंडफिल मॉडल पर आधारित है, जिससे कोई रद्दियां यानी रिजेक्ट्स पैदा नहीं होंगी। इसके अलावा इस परियोजना से कई पर्यावरण संबंधी लाभ होने की उम्मीद है, जैसे - ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, उर्वरक के रूप में जैविक खाद के साथ साथ हरित ऊर्जा प्रदान करना।