प्रधानमंत्री मोदी ने बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया, कहा-भारत 'अमृत काल' में विकास की ओर अग्रसर

प्रधानमंत्री मोदी ने बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया, कहा-भारत अमृत काल में विकास की ओर अग्रसर
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प्रधानमंत्री मोदी ने प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि विश्व को सुखी बनाने के लिए 'स्व' से ऊपर उठकर काम करना होगा। समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा है। उन्होंने कहा कि बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़ कर एक बोध हैं, बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं, बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है निरंतर है। यह सोच शाश्वत है, ये बोध अविस्मरणीय है।इसलिए आज जितने भी अलग-अलग देशों से, भौगोलिक-सांस्कृतिक परिवेश से लोग यहां एक साथ उपस्थित हैं। यही भगवान बुद्ध का वो विस्तार है जो पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है।

उन्होंने कहा कि भारत 'अमृत काल' में विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के कल्याण के लिए संकल्प लिया है।ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मना रहा है, जब भारत 'अमृत महोत्सव' मना रहा है। भारत ने इतने सारे क्षेत्रों में अपना पहला स्थान हासिल किया है, और उसने भगवान बुद्ध से उसी के लिए महान प्रेरणा प्राप्त की है।बुद्ध की शिक्षाओं में सिद्धांत, अभ्यास और प्राप्ति का मार्ग शामिल था; भारत पिछले 9 वर्षों में बुद्ध द्वारा बताए गए मार्गों पर चलकर बड़ी प्रगति कर रहा है।

उन्होंने कहा कि बुद्ध का मार्ग है- परियक्ति, पटिपत्ति और पटिवेध। यानी Theory, Practice and Realization. पिछले 9 वर्षों में भारत इन तीनों ही बिन्दुओं पर तेजी से आगे बढ़ा है।दुनिया के अलग-अलग देशों में पीस मिशन्स हों या तुर्किए में भूकम्प जैसी आपदा हो... भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर, हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, 'मम भाव' से खड़ा होता है।हमें विश्व को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है।हम सुख को तभी ग्रहण कर सकते हैं जब हम विजय, पराजय, लड़ाई, युद्ध के बोध को त्याग दें। भगवान बुद्ध ने इन पर काबू पाने का मार्ग बताया है। दुश्मनी को दुश्मनी से नहीं, बल्कि प्यार से मिटाया जा सकता है। वास्तविक सुख तो शांति में है, शांति से साथ रहने में है।

करीब 173 अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी सम्मेलन

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का हर काम किसी न किसी रूप में धरती को प्रभावित कर रहा है। हमारी लाइफस्टाइल चाहे जो हो, हर बात का प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। हर व्यक्ति जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ भी सकता है।अगर लोग जागरूक होकर प्रयास करें तो इस बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है। यही तो बुद्ध का मार्ग है। शिखर सम्मेलन का विषय 'रिस्पांस टू कांटेंपरी चैलेंजेस फ्राम फिलॉसफी टू प्रैक्सिस' है। इसमें दुनियाभर के प्रख्यात विद्वान, संघ नेता और धर्म के अनुयायी वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और बुद्ध धर्म के दृष्टिकोण से सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे। इसमें बुद्ध धर्म और शांति, पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता, नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण तथा बुद्ध धर्म तीर्थयात्रा, जीवित विरासत और बुद्ध अवशेष जैसे विषयों पर विचार किया जाएगा।सम्मेलन में लगभग 30 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। करीब 173 अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं, जिनमें 84 संघ सदस्य हैं।

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