प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे गीताप्रेस गोरखपुर, शिव महापुराण के विशेषांक का विमोचन किया
गोरखपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर 2 बजे गोरखपुर पहुंचे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी अगवानी की। इसके बाद प्रधानमंत्री गीता प्रेस पहुंचे। यहां पीएम गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने शिव महापुराण के विशिष्ट अंक का विमोचन किया। इसके बाद उन्होंने नेपाली भाषा के शिव महापुराण का भी विमोचन किया।
गीताप्रेस विकास और विरासत की धरोहर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में कहा कि गीताप्रेस विकास और विरासत की धरोहर है। गीताप्रेस एक जीवंत आस्था है। इनके नाम और काम दोनों में गीता है। जहां गीता है वहां कृष्ण हैं। जहां कृष्ण हैं, वहां करुणा है। जहां वासुदेव हैं वहीं सबकुछ है। गीताप्रेस की आध्यात्मिक ज्योति से मानव जाति का उत्थान हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक अवसर पर गीताप्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया गया है। गांधी जी का इससे बहुत लगाव था। उन्होंने ही यह सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापा जाय। इसका आज भी ध्यान रखा जा रहा है।
भारतीय विचारों के मूल भावना को जन-जन तक पहुंचाने वाली संस्था
प्रधानमंत्री ने कहा कि करोड़ों में छपने वाली यहां की पुस्तकें न सिर्फ लागत से आधे मूल्य में मिलती हैं बल्कि घर पहुंचाई जा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि गीताप्रेस भारत को जोड़ती है। देश के हर कोने तक इसकी पहुंच है। यह भारतीय विचारों के मूल भावना को जन-जन तक पहुंचाने वाली संस्था है। गीताप्रेस, एक भारत श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा देती है। इस प्रकार का योग केवल संयोग नहीं है। उन्होंने कहा कि गीताप्रेस की स्थापना ने गुलामी के समय में समाज को जगाया। लुप्तप्राय ज्ञान और विरासत को बचाने को प्रेरित किया। मूल्यों और आदर्शों के सूखते स्रोतों को बचाया। गीता का श्लोक ''यदा यदा हि धर्मस्य'' को पढ़कर उसके मायने बताये।
गुलामी के प्रतीकों को भुलाने का समय
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीताप्रेस ने अपने प्रयासों से युवाओं को भारतीय मूल्यों को समझाया और बताया है। गीताप्रेस ने सामाजिक मूल्यों को हमेशा स्थापित किया है। लोगों को कर्मपथ का रास्ता दिखाया है। भारतीय जीवन शैली से परिचित कराने की दिशा में भी गीताप्रेस ने महती भूमिका निभाई है। यह हमें बताता है कि अब गुलामी के प्रतीकों को भुलाने का समय है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने आधुनिक और सांस्कृतिक भारत की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत के संतों, मनीषियों का मार्गदर्शन हमें सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करता रहेगा।
गांधी शांति पुरस्कार मिलना गौरव का विषय
कार्यक्रम के दौरान गीताप्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार मिलना सनातनधर्मियों के लिए गौरव का विषय है। सौ वर्ष की यात्रा पूरी कर अब हम आगे बढ़ चुके हैं। देशभर में 15 भाषाओं में 1800 तरह की पुस्तकें हैं। सुदूर देश में उनकी भाषा में सदसाहित्य उपलब्ध कराया जा रहा है। गीताप्रेस एप पर भी काम कर रहा है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा हमसभी ने बीते 9 वर्षों में भारत के विकास की यात्रा के साथ-साथ आस्था और विरासत को मिल रहे सम्मान व वैश्विक स्तर पर मिल रही पहचान को देखा है। योग भारत की अति प्राचीन विधा रही है, लेकिन पहली बार योग को वैश्विक मान्यता मिली है। 21 जून की तिथि को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता देकर माननीय प्रधानमंत्री जी के प्रस्ताव को वैश्विक मान्यता दी गयी है। गीता प्रेस अपनी 100 वर्ष की शानदार यात्रा को लेकर आगे बढ़ा है, लेकिन विगत 75 वर्षों में आज तक कोई प्रधानमंत्री गीता प्रेस में नहीं आया।