जहां कर्तव्य सर्वोपरि होता है, वहां भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता : प्रधानमंत्री

जहां कर्तव्य सर्वोपरि होता है, वहां भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता : प्रधानमंत्री

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भ्रष्टाचार को दीमक की संज्ञा देते हुये उससे जल्द से जल्द मुक्ति पाने का मंत्र दिया। उन्होंने आज कहा कि जहां कर्तव्य निभाने का अहसास होता है और कर्तव्य सर्वोपरि होता है, वहां भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम श्रृंखला की 85वीं कड़ी में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से आये स्कूली छात्रा नव्या के पोस्टकार्ड को पढ़ते हुये अपनी बात रख रहे थे। प्रधानमंत्री ने नव्या के साथ-साथ देशवासियों को संबोधित करते हुये कहा कि देश के लिये आपका भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्ति का सपना बहुत सराहनीय है। इस दिशा में देश तेजी से आगे भी बढ़ रहा है।

इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार तो दीमक की तरह देश को खोखला करता है। उससे मुक्ति के लिए 2047 का इंतजार क्यों? यह काम हम सभी देशवासियों और आज की युवा-पीढ़ी को मिलकर करना है। जल्द से जल्द करना है। इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें। जहां कर्तव्य निभाने का एहसास होता है और कर्तव्य सर्वोपरि होता है, वहां भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता।प्रधानमंत्री मोदी को आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर देश और विदेश के एक करोड़ से अधिक बच्चों ने अपने 'मन की बात' पोस्टकार्ड के जरिये लिखकर भेजी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी के अमृत महोत्सव का उत्साह केवल हमारे देश में ही नहीं है। भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी उन्हें 75 पोस्ट कार्ड मिले हैं।

प्रधानमंत्री ने इनमें से कुछ चुनिंदा पत्रों को साझा करते हुये कहा कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली रिद्धिमा स्वर्गियारी ने गुवाहाटी (असम) से लिखा है कि वह आजादी के 100वें साल में भारत को दुनिया का सबसे स्वच्छ, आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त, शत-प्रतिशत साक्षर, शून्य सड़क दुर्घटना और टिकाऊ तकनीक से खाद्य सुरक्षा में सक्षम देश बनते देखना चाहती हैं।

प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की नव्या वर्मा के पोस्टकार्ड का जिक्र करते हुये कहा कि नव्या का सपना 2047 में ऐसे भारत का है, जहां सभी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, किसान समृद्ध हों और भ्रष्टाचार न हो। प्रधानमंत्री ने नव्या की सोच को सराहा और कहा कि देश इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भ्रष्टाचार से मुक्त भारत बनाने के लिये 2047 का इंतजार क्यों? यह कार्य हमसब को मिलकर जल्द से जल्द करना है।

इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने चेन्नई से मोहम्मद इब्राहिम के भेजे पत्र को साझा किया। उन्होंने लिखा है कि वे 2047 में भारत को रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि चंद्रमा पर भारत का अपना अनुसंधान आधार हो और मंगल पर भारत, मानव आबादी को बसाने का काम शुरू करे। साथ ही इब्राहिम पृथ्वी को भी प्रदूषण से मुक्त करने में भारत की बड़ी भूमिका देखते हैं।

मध्य प्रदेश स्थित रायसेन में सरस्वती विद्या मंदिर की 10वीं कक्षा की छात्रा भावना ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड भेजकर मन की बात साझा की है। भावना के पोस्टकार्ड की सजावट को देखकर प्रधानमंत्री ने उनकी प्रशंसा की। भावना ने क्रांतिकारी शिरीष कुमार के बारे में लिखा है।प्रधानमंत्री ने गोवा से लॉरेन्शियो परेरा के पत्र का भी जिक्र किया। 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले परेरा ने आजादी के गुमनाम नायकों को लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रही सबसे बहादुर महिलाओं में से एक भीकाजी कामा का जिक्र किया है। 1907 में उन्होंने जर्मनी में तिरंगा फहराया था। इस तिरंगे को डिजाइन करने में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उनका साथ दिया था।

प्रधानमंत्री ने अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को स्वदेश लाने का जिक्र करते हुये कहा कि श्यामजी का निधन 1930 में जेनेवा में हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि भारत की आजादी के बाद उनकी अस्थियां भारत लायी जाएं। वैसे तो 1947 में आजादी के दूसरे ही दिन उनकी अस्थियां भारत वापस लानी चाहिए थीं, लेकिन यह काम नहीं हुआ। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वर्ष 2003 में उनकी अस्थियां भारत लायी गईं थीं। श्यामजी कृष्ण वर्मा जी की स्मृति में उनके जन्म स्थान, कच्छ के मांडवी में एक स्मारक का निर्माण भी हुआ है।

मन की बात कार्यक्रम के प्रारंभ में ही प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम फिर ऐसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएंगे जो हमारे देश और देशवासियों की सकारात्मक प्रेरणाओं और सामूहिक प्रयासों से जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि हमारे पूज्य बापू महात्मा गांधी की आज पुण्यतिथि भी है। 30 जनवरी का यह दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि "कुछ दिन पहले ही हमने गणतन्त्र दिवस भी मनाया। दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झांकी देखी, उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है।" आगे उन्होंने कहा कि एक परिवर्तन जो आपने देखा होगा, अब गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी, यानि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती से शुरू होगा और 30 जनवरी तक यानी गांधी जी की पुण्यतिथि तक चलेगा।इस दौरान उन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी की डिजिटल प्रतिमा भी स्थापित की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल का जिस प्रकार से देश ने स्वागत किया है, देश के हर कोने से आनंद की जो लहर उठी और देशवासियों ने जिस प्रकार की भावनाएं प्रकट की, उसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं।

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