Prem Singh Tamang : बगावत से की शुरुआत, आज सत्ता के शिखर पर, जानिए पीएस गोले की कहानी

Prem Singh Tamang : बगावत से की शुरुआत, आज सत्ता के शिखर पर, जानिए पीएस गोले की कहानी

Prem Singh Tamang : बगावत से की शुरुआत, आज सत्ता के शिखर पर

Prem Singh Tamang : इस एकतरफा जीत के लिए प्रेम सिंह तमांग की चर्चा देश भर में है।

Prem Singh Tamang : सिक्किम। मात्र 11 साल पहले एक नेता ने बगावत कर पार्टी बनाई, इसने सत्ता पर काबिज सरकार को उखाड़ फेंका। पहले तो इस पार्टी ने सत्ता परिवर्तन किया अब एकतरफा जीत हासिल कर लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता का सबूत भी दे दिया। जिस नेता की बगावत से सिक्किम में परिवर्तन की लहर आई उसका नाम है प्रेम सिंह तमांग। इन्हे पीएएस गोले भी कहा जाता है। पेशे से शिक्षक थे, सत्तारूढ़ एसडीएफ से मनमुटाव हुआ तो अपनी खुद की पार्टी बना ली। अब आलम ये है कि, 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर भाजपा - कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला वहीं एक समय सत्ता में रही एसडीएफ को मात्र 1 सीट से संतुष्ट होना पड़ा। इस एकतरफा जीत के लिए प्रेम सिंह तमांग की चर्चा देश भर में है। तो आइए जानते हैं पीस गोले की बगावत से लेकर सिक्किम के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी।

प्रेम सिंह तमांग की वर्तमान जीत की चर्चा करेंगे लेंकिन पहले उनके इतिहास पर नजर डालते हैं।

प्रेम सिंह तमांग सरकारी 5 जनवरी 1968 को हुआ था। उन्होंने दार्जिलिंग से बीए की डिग्री प्राप्त की और फिर एक सरकारी कॉलेज में शिक्षक लग गए। पीएस तमांग की रूचि शुरुआत से ही समाज सेवा की ओर थी। उन्हें सामाजिक कार्य का जूनून इस कदर था कि, उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी ही छोड़ दी। सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने सिक्किम की सिक्किम डेमोक्रैटिक फ्रंट (SDF) पार्टी ज्वाइन की। एसडीएफ में उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया लोगों में अपनी पैठ जमाई और इसका परिणाम ये हुआ कि, वे 1994 के बाद लगातार पांच बार विधायक चुने गए।

प्रेम सिंह तमांग एसडीएफ की सरकार में मंत्री रहे। मंत्री रहते हुए उनके सरकार से कुछ मनमुटाव रहे। तब भी सब ठीक था लेकिन 2009 से 2014 तक बनी एसडीएफ सरकार में उन्हें मंत्री पद देने से मना कर दिया गया। ये वो समय था जब पीएस तमांग के राजनितिक करियर पर रोक लग सकती थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। प्रेम सिंह तामंग ने एसडीएफ से बागवत कर दी और अपनी नई पार्टी बनाई।

SKM पार्टी की स्थापना :

एसडीएफ से बगावत करने के बाद साल 2013 में प्रेम सिंह ने सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की स्थापना की। इस दल ने जबरदस्त शुरुआत की। साल 2014 में विधानसभा चुनाव हुए और प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में एसकेएम ने 10 सीट जीतीं। और प्रमुख विपक्षी दल बनकर उभरी। इस तरह अब पीस तमांग सिक्किम की जनता के बीच लोकप्रिय होते जा रहे थे।

हेराफेरी के आरोप में जेल भी गए :

प्रेम सिंह तमांग अभी लोकप्रिय हो ही रहे थे कि, उन्हें एक बड़ा झटका लगा। साल 1994 से 1999 के बीच उन पर पैसों की हेरा फेरी का आरोप लगा। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 2016 में जेल गए और 2018 में जेल से बाहर आ गए लेकिन इन दो सालों में उनके समर्थक और बढ़ गए।

जब तमांग जेल से छूटे तो जेल के बाहर उनके समर्थकों का हुजूम लगा हुआ था। इसके बाद उन्होंने पलट कर नहीं देखा और जिस पार्टी से बगावत की थी उसे जड़ से उखाड़ कर रख दिया। 2919 में जब सिक्किम में विधानसभा चुनाव हुए तो प्रेम सिंह तमांग ने अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा। 2019 में उन्हें जनता ने उन्हें आशीर्वाद दिया और वे सिक्किम के मुख्यमंत्री बने।

दूसरी बार बन रहे मुख्यमंत्री :

लोकसभा चुनाव के साथ - साथ सिक्किम में विधानसभा (Sikkim Assembly Election Result) के चुनाव हुए। इस चुनाव में उन्हें 32 में से 31 सीट मिली। एक सीट एसडीएफ के खाते में गई। भाजपा और कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाए। अब सिक्किम विधानसभा में अगले पांच साल तक विपक्ष का मात्र एक नेता ही नजर आएगा।

सिक्किम में किस पार्टी को कितना वोट प्रतिशत मिला :

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