जनजातीय समुदायों ने हमारे स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान दिया : राष्ट्रपति
दमोह। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि विभिन्न जनजातीय समुदायों ने हमारे स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान दिया है। हमारे वे जनजातीय शहीद केवल स्थानीय रूप से ही नहीं पूजे जाते हैं, बल्कि पूरे देश में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। उन्होंने यह बातें रविवार को मप्र के दमोह जिले में ग्राम सिंग्रामपुर में आयोजित राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मलेन को संबोधित करते हुए कही।
राष्ट्रपति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार संचित है। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश में 'विशेष पिछड़ी जनजाति समूह' में शामिल बैगा समुदाय के लोग परंपरागत औषधियों एवं चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो आपको जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए।
समूह को प्राथमिकता दी जाती है-
उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है, प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। उनकी जीवनशैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। आदिवासी जीवन संस्कृति में सहजता होती है तथा परिश्रम का सम्मान होता है। हम सबको अपने जनजातीय भाई-बहनों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनजातीय समुदायों में एकता-मूलक समाज को बनाए रखने पर जोर दिया जाता है। उनमें स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।
6 नए मण्डलों का सृजन -
राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 6 नए मण्डलों का सृजन किया गया है। इन नए मण्डलों में जबलपुर मण्डल भी शामिल है जिसका आज ही शुभारंभ हुआ है। उन्होंने कहा कि हम सबको यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि आदिवासी समुदाय का कल्याण तथा विकास पूरे देश के कल्याण और विकास से जुड़ा हुआ है। इसी सोच के साथ केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा जनजातियों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
रानी दुर्गावती देवी थी -
उन्होंने कहा कि मैं रानी दुर्गावती को देवी कहता हूं। रानी दुर्गावती के अंतिम युद्ध का विवरण सभी के दिल को आंदोलित करता हैं। विभिन्न जनजातीय समुदायों ने हमारे स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान दिया है। हमारे वे जनजातीय शहीद, केवल स्थानीय रूप से ही नहीं पूजे जाते हैं बल्कि पूरे देश में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में, यदि हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने अपनी वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन न किया होता तो हमारी अमूल्य वन संपदा का और भी बड़े पैमाने पर दोहन हो चुका होता। इस प्रकार, हमारे आदिवासी भाई-बहन हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक रहे हैं।
'हैण्ड मेड इन इंडिया'
उन्होंने कहा कि आज 'मेड इन इंडिया' के साथ-साथ 'हैण्ड मेड इन इंडिया' को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया जा रहा है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे जनजातीय भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं। हम सबको मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे जनजातीय भाई-बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही, उनकी जनजातीय पहचान एवं अस्मिता अपने सहज रूप में बनी रहे।