'President of India' की जगह 'President of Bharat', सही या गलत? जानिए क्या कहता है संविधान
नईदिल्ली। देश के अंदर इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसी बीच जी20 देशों के नेताओं को 9 सितंबर को ‘भारत मंडपम’ में रात्रिभोज के लिए भेजे गए आधिकारिक निमंत्रण पत्र में इस बार उनके लिए ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ का जिक्र किया गया है। जिसके बाद देश भर के अंदर नाम बदलने की मांग तेज हो गई है। कांग्रेस इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा है कि पहले भेजे जाने वाले राजकीय निमंत्रण में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया लिखा जाता था। उन्होंने अपने ट्वीट में इशारा करते हुए सवाल उठाए हैं कि क्या देश का नाम बदलने वाला है। इसी बीच संविधान के आर्टिकल 1 की चर्चा शुरू हो गई है।
क्या है आर्टिकल 1 -
भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 में कहा गया है कि भारत राज्यों का संघ होगा। कानून विशेषज्ञों के अनुसार, संविधान के इस आर्टिकल में भारत और इंडिया को एक ही माना गया है , अंग्रेजी में देश का नाम इंडिया और हिंदी में भारत कहा गया है। दोनों नाम का समय-समय पर जरुरत के हिसाब से उपयोग किया जा सकता है। भाषा और संदर्भ के मुताबिक, दोनों में से किसी भी शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत, सही या गलत?
विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार द्वारा जी 20 के रात्रिभोज के निमंत्रण पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द का उपयोग करने को गलत नहीं कहा जा सकता है। संविधान कहता है, इंडिया की जगह भारत शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है।
दरअसल, अंग्रेजों ने भारत के लिए इंडिया शब्द का उपयोग किया था। आजादी के समय संविधान में कई चीजें अंग्रेजों की हुकूमत से प्रेरित होकर शामिल की गई। इसीलिए संविधान में देश में अंग्रेजी नाम दिया गया। यहीं कारण है कि आजादी के बाद कई पद और संस्थान के नाम में भी इंडिया का इस्तेमाल किया गया। जैसे- सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, इंडियन पेनल कोड और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया। इसके बाद से समय-समय पर देश का नाम भारत करने की मांग उठती रहती है।
क्या बदल सकता है नाम ?
देश में नाम बदलने की चल रही सुगबुगाहट के बीच सवाल उठ रहा है की क्या ये संभव है। विशेषज्ञों की मानें तो ये आसान नहीं है क्योंकि जिन संस्थान,पदों एवं कानूनों में इंडिया शब्द का उपयोग होता है, उसे भी बदलना होगा। ये एक दिन में लाया जाने वाला बदलाव नहीं है।इसके लिए सरकार को संविधान संशोधन बिल जाना होगा। इसे दोनों सदनों में पारित करने के बाद राष्ट्रपति की मुहर लगेगी। इसके बाद ही ऐसा संभव हो पाएगा।