सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सब का प्रयास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये विकसित, समृद्ध, आत्मनिर्भर और समावेशी भारत के निर्माण में देशवासियों से सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि सबका-साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबके प्रयास से इस लक्ष्य को प्राप्त करना है।प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में दो पड़ोसी देशों से मिल रही आतंकवाद और विस्तारवाद की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश हिम्मत के साथ इनसे लड़ रहा है और इन्हें जवाब भी दे रहा है।उन्होंने अपने भाषण में अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म होने का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने लड़कियों को सैनिक स्कूलों में प्रवेश देने, देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना, 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरु करने सहित कई अहम घोषणाएं भी कीं।
प्रधानमंत्री ने सुविधाओं तक पहुंच नहीं बल्कि पूर्णता को लक्ष्य बताते हुए कहा कि अब तक देश की सरकारों की कोशिश थी कि देश के हर कोने तक सुविधाएं पहुंचाई जाए लेकिन अब लक्ष्य होना चाहिए कि सभी लोगों तक सभी सुविधाएं शत प्रतिशत पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि हमें अब विकास की तरफ नहीं बल्की पूर्णता की तरफ जाना है यानी स भी सुविधाएं देश के शत-प्रतिशत लोगों को मिले, यह हमारा लक्ष्य होना चाहिए। सभी परिवारों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए और हमारे सामने सभी योजनाओं की सैचुरेशन का लक्ष्य हासिल करना है. इसके लिए अधिक वक़्त नहीं लगाना है।
शहरों और गांवों के बीच की खाई को पाटने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि शहरों और गांवों के बीच के अंतर को ख़त्म करने के लिए अब वहां तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि गांव में कई जगहों पर महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रूप में शामिल हो कर नए उद्यम कर रही हैं, ऐसी महिलाओं के लिए सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाएगी ताकि उनके उत्पाद देश के हर कोने तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों और वंचितों के लिए आरक्षण व्यवस्था सुनिश्चित करने का काम कर रही है और बिल पास कर राज्यों को वंचित समुदायों का पहचान करने की ज़िम्मेदारी दी गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पिछले कई दशकों से अनसुलझी समस्याओं को भी सुलझाने का काम कर रही है। सरकार अपने दायित्व को लेकर पूरी तरह से सजग है और देश की रक्षा कर रहे प्रहरियों को भी सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा में लगी सेनाओं के हाथ मजबूत करने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भारतीय कंपनियों और उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में अवसर देने के लिए देश में प्रयास किए जा रहे हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के कड़े और प्रभावशाली प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत बड़े लक्ष्य गढ़ने और उन्हें प्राप्त करने का सामर्थ्य रखता है। भारत आज उन विषयों को भी हल कर रहा है जिनको सुलझाने में सदियों का इंतजार करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को बदलने का ऐतिहासिक फैसला, देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने की नई व्यवस्था वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), देश के जवानों को वन रैंक वन पेंशन, राम जन्मभूमि केस का शांतिपूर्ण समाधान पिछले कुछ दिनों में देश ने सच होते देखा है।
प्रधानमंत्री ने देश में छोटी होती जोतों का जिक्र करते हुए छोटे किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके लिए विशेष प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया अब हमारा प्रयास इन छोटे किसानों को आगे ले जाना है। उन्होंने कहा कि छोटा किसान बने देश की शान, ये हमारा सपना है। आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा और उन्हें नई सुविधाएं देनी होंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पहले देश में बनी नीतियों में इन छोटे किसानों पर आवश्यकता के अनुरूप ध्यान नहीं दिया गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्हें सस्ते में सामग्री मिले, आसानी से ऋण मिले और फसलों पर बीमा मिले इस पर जोर दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खोलने की घोषणा की। वर्तमान में देश में 33 सैनिक स्कूल चल रहे हैं। प्रधानमंत्री कहा कि उन्हें लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वह भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं। उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं। उन्होंने कहा कि दो-ढाई साल पहले मिजोरम में इस दिशा में प्रयास हुआ था। मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था।
उन्होंने कहा कि शिक्षा हो या खेल, हमारी बेटियां आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हर क्षेत्र में उनकी समान भागीदारी हो। सड़क से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं में सुरक्षा का एहसास और सम्मान का भाव हो। उन्होंने इसके लिए शासन-प्रशासन, पुलिस व न्याय व्यवस्था व नागरिकों को शत-प्रतिशत जिम्मेदारी निभाने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नई 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें खेल को 'एक्स्ट्रा करिकुलर' के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है वहीं मातृभाषा की प्राथमिकता पर जोर दिया गया है। खेलकूद की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले मां-बाप बच्चों से कहते थे कि खेलते रहोगे तो जीवन बर्बाद कर लोगे, लेकिन अब यह सोच बदल रही है। इस बात का अनुभव इस बार के ओलंपिक में भी हमने किया है। उन्होंने खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ा कर उसे तकनीक से जोड़ने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि भाषा के कारण देश की बड़ी प्रतिभा को पिंजरे में बांध दिया है लेकिन भाषा कभी विकास में रुकावट नहीं बननी चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी गरीबी के खिलाफ लड़ाई में बड़ा शस्त्र बनकर सामने आने वाला है क्योंकि इसमें लोगों की प्रतिभा को जगह दी गई है।'
प्रधानमंत्री ने भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का नया वैश्विक केंद्र बनाने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भारत का ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्र होना अनिवार्य है। इसलिए आज भारत को ये संकल्प लेना होगा कि हम आजादी के 100 साल होने से पहले भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वतंत्र बनाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने तय किया है कि 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश 75 सप्ताह तक अमृत महोत्सव का पालन करेगा। आने वाले समय में देश के हर कोने को जोड़ने के लिए 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलेंगी। सरकार जल्द सौ लाख करोड़ रुपयों की एक नई गतिशक्ति योजना लॉन्च करेगी जो देश के लिए नया नेशनल इंफ्रास्ट्क्चर प्लान होगा और देश को होलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर देगी। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने, नदियों को गंदा नहीं करने और समुंद्र तटों को स्वच्छ रखने की भी अपील की।