आपके क्षेत्र के महापौर-पार्षद को इतनी मिलती है निधि, ऐसे...होता है निर्धारण

आपके क्षेत्र के महापौर-पार्षद को इतनी मिलती है निधि, ऐसे...होता है निर्धारण
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वेबडेस्क। देश के विभिन्न चुनावों में निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधियों को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए एक निश्चित राशि दी जाती है। जिसका निर्धारण प्रतिवर्ष में पेश होने वाले बजट में किया जाता है। केंद्रीय बजट में जहां सांसदों की निधि के लिए प्रावधान किया जाता है। वहीँ राज्यों के बजट में विधायक निधि का प्रावधान किया जाता है। निकायों के बजट में पार्षद और महापौर को मिलने वाली निधि तय होती है।

इस योजना की शुरुआत पहली बार वर्ष 1993 में हुई थी। उस वक्त देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार ने सांसदों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए एक करोड़ रुपये सालाना जारी किए थे। जो बाद मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान बढ़कर पांच करोड़ रुपये हो गई। वर्तमान समय में सभी सांसदों को प्रतिवर्ष पांच करोड़ रूपए की निधि मिलती है।

विधायक निधि -

इसी तरह सभी राज्यों के विधायकों को भी अपने -अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए विधायक निधि दी जाती है। सभी राज्य अपने बजट के अनुसार विधायक निधि का निर्धारण करती है। विधायक क्षेत्र विकास निधि योजना को वर्ष 1999-2000 में आरम्भ किया गया है । यह योजना विधायकों को स्थानीय विकास के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ने की दृष्टि से भी आरम्भ की गई है। यह योजना राज्य सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से माध्यमों से विकास कार्यों के विकेन्द्रीकरण के उद्देश्य की पूर्ति से भी प्रेरित है ।मप्र में प्रत्येक विधायक को 1 करोड़ 85 लाख रूपए प्रतिवर्ष विधायक निधि मिलती है।

महापौर और पार्षद निधि -

सांसद और विधायक निधि की ही तरह निकायों में महापौर और पार्षद निधि के लिए बजट में प्रावधान किया जाता है। सभी नगर निकाय प्रतिवर्ष पेश होने वाले बजट में इस निधि को तय करते है। पिछले बजट के अनुसार मप्र के कई निगमों में महापौर की निधि 2 करोड़ रूपए थी। वहीँ पार्षदों को अपने वार्डों में विकास के लिए करीब 47 लाख रूपए प्रतिवर्ष पार्षद निधि मिलती है।

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