कभी 'किंग्सवे' के नाम से मशहूर रहा 'राजपथ' अब कहलाएगा 'कर्तव्य पथ', जानिए कब-कब बदला गया नाम

कभी किंग्सवे के नाम से मशहूर रहा राजपथ अब कहलाएगा कर्तव्य पथ, जानिए कब-कब बदला गया नाम
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नईदिल्ली। दिल्ली के जिस राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड निकलती है, उससे ज्यादा अहम सड़क देश के लिए कौन सी हो सकती है। अब उसी राजपथ का नाम कर्तव्यपथ किए जाने की चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजपथ के साथ ही नवनिर्मित सेंट्रल विस्टा लान का नाम बदलने का भी निर्णय लिया है।दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) की बैठक में बुधवार को राजपथ का नाम बदलकर 'कार्तव्य पथ' करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

बता दें ये पहली बार नहीं है जब भारतीय इतिहास की बड़ी घटनाओं की साक्षी रही इस सड़क का पहली बार नाम बदला जा रहा हो। इससे पहले भी इसका नाम बदला चुका है। इतिहास के पन्नों में इस रास्ते की कई कहानियां दर्ज हैं। आइए आज हम आपको इसके निर्माण और नाम बदलने की उस कहानी को बताते है।

किंग्सवे नाम की कहानी -

अंग्रेजों ने जब अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाई। उस समय अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए पुरानी दिल्ली से दूर नई दिल्ली का निर्माण किया। यही तत्कालीन वायसरॉय हॉउस वर्तमान में राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले साढ़े तीन किलोमीटर का नाम किंग्सवे रखा। उस समय यहां सिर्फ राजाओं को ही जाने की इजाजत हुआ करती थी. यानी ब्रिटिश काल में ब्रिटिश शासकों के अहम अधिकारी ही इस रास्ते से जाया करते थे। अंग्रेजों ने इस सड़क का निर्माण किंग जॉर्ज V के सम्मान में किया था। जोकि वर्ष 1911 में दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए आए थे।

बता दें की इस सड़क को किंग्सवे नाम ट स्टीफ़ेंस कॉलेज के इतिहास के प्रोफ़ेसर पर्सिवल स्पियर ने दिया था। दरअसल, नई दिल्ली की अधिकांश सड़कों के नाम अंग्रेजों ने उन्ही की सलाह पर रखे थे। उन्हीं की सलाह पर अकबर रोड, पृथ्वीराज रोड, शाहजहां रोड सड़को के नाम रखे गए थे।

कहाँ से कहाँ तक राजपथ -

यदि राजपथ की बात करे तो यह रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन के गेट से शुरू होता है और विजय चौक से लेकर राष्ट्रीय स्टेडियम तक जाता है। इसके दोनों ओर काफी हरियाली है, बाग हैं और छोटी झीलें भी हैं। ये गणतंत्र दिवस परेड का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है।इसके बीच में परेड राष्ट्रपति को सलामी देते हुए नई दिल्ली की सड़कों से होते हुए लाल क़िले पर समाप्त होती है।

गणतंत्र दिवस परेड का इतिहास -

देश में संविधान लागू होने के बाद पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी। वर्ष 1955 में पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड का आयोजन हुआ था। इसके बाद से यह मार्ग परेड के लिए स्थाई हो गया था।

कैसे बना राजपथ -

आजादी के बाद देश में अंग्रेजों परंपराओं और बनाए गए प्रशासन में कई सुधार किए गए। इसी कड़ी में अंग्रेजों का गुणगान करने वाली संस्थाओं और स्थानों का नाम बदला गया। जिसमें राजपथ भी शामिल था। साल 1955 में तत्कालीन सरकार ने इस सड़क का नाम किंग्सवे से से बदलकर राजपथ किया था।


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