जो काम उमा, गौर, शिवराज - कमलनाथ नहीं कर पाए, अब वो काज रामजी के मोहन करेंगे पूरा
भोपाल। पिछले 20 साल में मध्यप्रदेश में चार बार भाजपा को और एक बार कांग्रेस को सत्ता में रहने का मौका मिला, ये पांचवीं बार है जोकि फिर से सत्ता भाजपा की है और मुख्यमंत्रियों के स्तर पर डॉ. मोहन यादव को छोड़कर चार मुख्यमंत्री दिग्विजय के शासन के बाद प्रदेश को मिले । लेकिन हर बार-हर किसी ने कुछ न कुछ राम काज में जोड़ा जरूर पर उसे पूर्णता तक नहीं पहुंचा पाए, जिसका इंतजार मप्र के लोगों को ही नहीं बल्कि भारत समेत पूरे विश्व भर के हिन्दू श्रद्धालु अब तक कर रहे हैं।
दरअसल, यहां जिक्र हो रहा है ''राम वन गमन'' मार्ग का। अपने 14 वर्ष वनवास काल में मर्यादापुरुषोत्तम राम, माता सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ मप्र के जिन स्थलों से होकर गुजरे, वह पूरा क्षेत्र आज भी परिवक्वता के साथ पूर्णता को प्राप्त कर विकसित मार्ग एवं विकास की बाट जोह रहा है। मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ चित्रकूट से अमरकंटक तक 370 किलोमीटर है। यहां भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान 11 साल 11 महीने और 11 दिन का समय व्यतीत किया। वह जिन रास्तों से गुजरे उसे ही ''राम वन गमन पथ'' कहा जाता है।
प्रदेश में सतना, पन्ना, कटनी, जबलपुर, नर्मदापुरम, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले के स्थलों को चिह्नित किया गया है। इसमें स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अग्निजिह्ना आश्रम, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, श्रीराम मंदिर, मार्कंडेय आश्रम, दशरथ घाट, सीता मढ़ी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि श्री रामचंद्र पथ गमन न्यास का काम केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश में चिह्नित श्रीराम वन गमन पथ के 23 स्थलों का विकास करना है। इन स्थानों को जोड़ने वाले मार्ग को सुगम और सुविधाजनक बनाने के साथ पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए यात्री सुविधाओं का विकास और उनका संचालन किया जाना है ।
इस कार्य के विस्तार एवं भव्यता प्रदान करने की शुरूआत यहां साध्वी उमा भारती के सत्ता में आते ही शुरू हुई थी, वहीं, उन्होंने उस दौरान कहा भी था कि हम ''रामपथ गमन मार्ग'' को विकसित करेंगे । लेकिन वे ज्यादा दिन मुख्यमंत्री नहीं रहीं और उनके जाने के बाद जैसे यह कार्य नेपथ्य में चला गया हो। फिर जब इसके बारे में मीडिया समेत तमाम श्रीराम के भक्तों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को याद दिलाया तो उन्होंने भी इसके प्रति अपनी रूचि प्रकट की और संपूर्ण क्षेत्र के विकास का वादा भी किया। कुछ कार्य भी आरंभ हुआ, लेकिन वह काम कागजों से जमीन पर उनके सीएम रहते कभी नहीं उतर पाया।
इसके बाद एक नया युग मप्र की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान का शुरू होता है, जहां विकास के तमाम संकल्पों को लेकर उन पर कार्य करना शुरू हुआ जिसका कि परिणाम कई क्षेत्रों में देखने को मिला, रामपथगमन क्षेत्र भी एक ऐसा कार्य रहा, जहां विकास जमीन पर उतरे जरूरी लेकिन अधुरे-अधुरे। हालांकि यह सच है कि धार्मिक पर्यटन या श्रद्धा भावपक्ष हो उसको लेकर अनेक बड़े कार्य शिवराज के सीएम रहते हुए ही आगे बढ़े, जिसमें कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और जैन तीर्थ सिद्धवरकूट क्षेत्र का विकास, सलकनपुर देवि धाम जीर्णोद्धार, महाकाल लोक जैसे तमाम बड़े कार्य सम्पन्न हुए लेकिन हर बार की तरह उनके कार्यकाल में भी ''राम वन गमन पथ'' का कार्य अधुरा ही रह गया।
जब बीच में 16 माह तक के अल्प समय के लिए कांग्रेस की सत्ता रही तब इतना भर इसमें हुआ कि ''राम वन गमन पथ'' के विकास के लिए कमल नाथ सरकारने वर्ष 2019 में कार्ययोजना तैयार कर 22 करोड़ रुपये का बजट प्रविधान तो किया गया पर इस सरकार में भी काम कुछ नहीं हुआ । जो कुछ भी चर्चाओं में रहा, वह भी कागजों तक सीमित था।
इसके बाद दौबारा सत्ता में आते ही शिवराज सरकार ने इस कार्य को आगे बढ़ाया और 2022 में मध्य प्रदेश में ''राम वन गमन पथ'' (कारिडोर) का काम पहले चरण में आरंभ करने की मंशा से मूलभूत सुविधाएं जुटाने हेतु 300 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को अनुमति दे दी थी।लेकिन बात यहां भी पूरी तरह से नहीं बनी। हां इतना जरूर हुआ कि ''राम वन गमन पथ'' के लिए न्यास का गठन मध्य प्रदेश की पिछली शिवराज सरकार ने कर दिया था, जिसकी कि बैठक होकर इससे जुड़े आवश्यक निर्णय लिए जाने थे, लेकिन एक भी बैठक नहीं हो पाई और विधानसभा चुनावों की तारीख घोषित हो गई । ऐसे में इस संपूर्ण क्षेत्र का विकास जैसे अब तक धरातल पर उतरने का इंतजार कर रहा है ।
न्यास के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं। न्यास में 33 सदस्य हैं, जिसमें 28 पदेन न्यासी सदस्य हैं। अब मध्य प्रदेश में श्रीराम वनवास के समय जिन मार्गों से गुजरे थे, उस ''राम वन गमन पथ'' के विकास का दायित्व डॉ. मोहन यादव के कंधों पर है और सीएम रहते हुए वे उसे पूरा करवाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा भी है कि भाजपा की सरकार इस कार्य को कराएगी। इसकी कार्य योजना से जुड़े सभी विषयों पर विचार कर उसे गति देने के लिए गठित श्रीरामचंद्र पथगमन न्यास की पहली बैठक चित्रकूट में मंगलवार को मुख्यमंत्री यादव की अध्यक्षता में होने जा रही है । इसमें संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्यमंत्री धर्मेंन्द्र सिंह लोधी, मुख्य सचिव वीरा राणा सहित संबंधित विभाग और जिलों के अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
फिलहाल वर्तमान सरकार के पिछले एक माह के दौरान जिस प्रकार के निर्णय लिया जाना सामने आया है, उससे जरूर लग रहा है कि वास्तव में अब ''राम वन गमन पथ'' धरातल पर साकार हो उठेगा, जिससे जहां धार्मिक गतिविधियां बढ़ेंगी और श्रद्धालुओं को उनके राम के पद्चिन्हों के दर्शन सहज सुलभ हो सकेंगे। इसके साथ ही रोजगार के अनेक सुगम अवसर इस पूरे क्षेत्र में पैदा होंगे। फिर दुनिया भर से मप्र आनेवाले लोगों की संख्या में इजाफा होना भी एक बड़ी उपलब्धि रहेगी ही । उम्मीद करें कि ''राम वन गमन पथ'' मध्यप्रदेश के संपूर्ण विकास में एक बड़ा केंद्र बनकर जल्द उभरेगा।