भारत ने गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक, चीन की जमाखोरी समेत ये है प्रमुख कारण

भारत ने गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक, चीन की जमाखोरी समेत ये है प्रमुख कारण
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वेबडेस्क। देश ने गेहूं की कीमतों में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए केंद्र सरकार ने आज निर्यात पर रोक लगा दी है। सरकार के इस फैसले के बाद कुछ मीडिया समूहों ने सरकार विरोधी बताना शुरू कर दिया है। तर्क दिया जा रहा है की सरकार का ये निर्णय किसानों को अपनी उपज को वैश्विक दरों पर बेचने के अवसर से वंचित करने वाला है।

बता दें की रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से वैश्विक कृषि बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। रूस खुद एक प्रमुख गेहूं उत्पादक देश जो यूरोपीय बाजारों में आपूर्ति करता है। अब रुस पर प्रतिबंध लगने के बाद से वह निर्यात नहीं कर पा रहा है। ऐसे में वैश्विक बाजारों में कम आपूर्ति और बढ़ती मांग के कारण गेहूं की कीमतों में वृद्धि हुई है। गेहूं की कीमतों में अचानक हुई इस वृद्धि ने बड़े देशों के साथ-साथ छोटे-छोटे देशों को अधिक प्रभावित किया है। छोटे देशों के लिए महंगे दामों पर वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं से गेहूं खरीदने में कठिनाई हो रही है। इसी स्थिति को देखते हुए भारत ने गेहूं पर के निर्यात पर रोक लगाने का एक विवेकपूर्ण कदम उठाया है।

मीडिया का प्रोपेगेंडा -

वहीँ दूसरी ओर मीडिया ये इस कारण को छिपाकर गेहूं की कमी का दावा कर रहा है। मीडिया द्वारा कहा जा रहा है की कि मोदी सरकार के पास भविष्य में अनाज की अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए गेहूं का पर्याप्त बफर स्टॉक नहीं है।इसलिए ये निर्णय लिया गया है। जैसा कि मीडिया के एक वर्ग द्वारा चित्रित किया जा रहा है, कारण उसके एकदम उलट है।

पडोसी देशों को आपूर्ति -

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अपंने आदेश में कहा की गेहूं की वैश्विक कीमतों में कई कारणों से वृद्धि हुई है। भारत, पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों को जो गेहूं के वैश्विक बाजार में अचानक बदलाव से प्रभावित हैं और पर्याप्त गेहूं की आपूर्ति करने में असमर्थ है। हालांकि आदेश में इसके साथ ही ये भी कहा गया है की भारत सरकार पड़ोसी और कमजोर विकासशील देशों को गेहूं पहुंचाने के अपने वादे से पीछे नहीं हट रही है।

सरकार ने किए प्रावधान -

सरकार ने खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों को आपूर्ति करने के लिए अन्य प्रावधान भी किए है। आदेश में कहा गया है कि आदेश से पहले की बुकिंग वाले सभी ऑर्डर को भेजा जाएगा। उनपर रोक नहीं लगाई जाएगी। बता दें की सरकार ने हाल ही में घरेलू संकट से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान और श्रीलंका को गेहूं दान में दिया था। जोकि भारत पहले पडोसी की विदेश नीति को समर्थन देती है।

देश में गेहूं का स्टॉक पर्याप्त -

सरकार ने साफ कहा है की देश में भी गेहूं की कोई कमी नहीं है। वर्तमान में गेहूं का बफर स्टॉक 303.46 लाख मीट्रिक टन है, जबकि न्यूनतम बफर स्टॉक की आवश्यकता 30 लाख मीट्रिक टन है। इसलिए, देश में निकट भविष्य के लिए गेहूं की कमी का कोई सवाल ही नहीं है, जैसा कि मीडिया के एक वर्ग ने दावा किया है।

चीन की जमाखोरी -

सरकारी सूत्रों के अनुसार अचानक निर्यात पर रोक लगाने के पीछे चीन भी एक मुख्य कारण है। चीन वैश्विक स्तर पर हुई गेहूं की इस कमी का लाभ लेने की कोशिश कर रहा है। चीन इस मौके का इस्तेमाल गेहूं की जमाखोरी में कर रहा है। चीन ने बड़ी मात्रा में गेहूं की जमाखोरी शुरू कर दी है। जिसका उपयोग वह बाजार पर नियंत्रण करने की मंशा हो सकती है। इसलिए सरकार ने विभिन्न कारणों से गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई है।

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