बागी विधायकों ने ठाकरे को लिखा पत्र, पूछा- हिंदुत्व, अयोध्या शिवसेना के मुद्दे तो रामलाल के दर्शन से क्यों रोका ?

बागी विधायकों ने ठाकरे को लिखा पत्र, पूछा- हिंदुत्व, अयोध्या शिवसेना के मुद्दे तो रामलाल के दर्शन से क्यों रोका ?
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मुंबई। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठपटक के बीच एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों ने पहली बार पत्र के माध्यम से उद्धव ठाकरे को अपना संदेश भेजा है। जिसमें विधायकों ने मुख्यमंत्री पर कई आरोप लगाए है। साथ ही अनेकों शिकायतें की है। चाहे सीएम का अपनी ही पार्टी के विधायकों से मुलाकात न करने का मुद्दा हो या उन्हें अयोध्या जाने से रोकने का। बागी विधायकों ने ये चिठ्ठी ट्विटर पर शेयर की है। आइए बताते है आखिर इस चिट्ठी में विधायकों ने क्या लिखा है।


एकनाथ शिंदे द्वारा शेयर की गई इस चिठ्टी में उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास खली करने की घटना का जिक्र करते हुए लिखा गया है की"कल वर्षा बंगले के दरवाजे सही मायने में सर्वसामान्य के लिए खुले। बंगले पर जो भीड़ हुई, उसे देखकर दिल खुश हो गया। यह दरवाजे पिछले डेढ़ साल से शिवसेना के विधायक यानी हमारे लिए भी बंद थे। विधायक के तौर पर उस बंगले में प्रवेश करने के लिए हमें आपके आस-पास रहने वाले लोगों की मान-मनौवल करनी पड़ती थी, जो कभी चुनाव लड़कर चुनकर नहीं आए बल्कि विधानपरिषद और राज्यसभा में हमारे जैसे लोगों के कंधे पर चढ़कर पहुंचे हैं।"

चुनावों में गठबंधन की वजह से हार -

पत्र में आगे विधायकों ने कहा "ये ही तथाकथित चाणक्य क्लर्क हमें दरकिनार कर राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों की रणनीति बना रहे थे। उसका नतीजा क्या हुआ, यह पूरे महाराष्ट्र ने देखा है। शिवसेना का मुख्यमंत्री होते हुए भी उनकी ही पार्टी के विधायक होते हुए भी हमें कभी भी वर्षा बंगले में सीधे प्रवेश नहीं मिला। विधायकों ने आगे आरोप लगाते हुए लिखा मंत्रालय की छठी मंजिल पर मुख्यमंत्री सबसे मिलते हैं, पर हमारे लिए तो छठी मंजिल का सवाल ही नहीं आया क्योंकि आप कभी मंत्रालय में गए ही नहीं।

आपने फोन तक नहीं उठाया -

विधायकों ने क्षेत्र में काम ना होने को लेकर भी कई आरोप लगाए, उन्होंने कहा की विधानसभा क्षेत्र के कामों के लिए, अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए, व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सीएम साहेब को मिलना है, ऐसी विनंती कई बार करने के बाद भी सीएम साहेब ने आपको बुलाया है, ऐसा संदेश कभी आपकी की तरफ से आया नहीं। घंटों दरवाजे पर खड़े होकर इंतजार करवाया गया। फोन किया तो वे लोग फोन रिसीव नहीं कर रहे थे। अंत में निराश होकर हम वहां से निकल जाते।तीन से चार लाख वोटरों में से जीतकर चुने गए हम पार्टी के विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों? यह हमारा सवाल है।

शिंदे ने सुनी व्यथा -

पत्र में विधायकों ने अपनी व्यथा लिखते हुए कहा की यह परेशानियां हम सभी विधायकों ने सहन की है। हमारी व्यथा, आपके आजू-बाजू के लोगों ने कभी सुनने तक की जेहमत नहीं उठाई। आप तक तो वह बात कभी पहुंचाई ही नहीं गई। इस समय हमारे लिए आदरणीय एकनाथ शिंदे साहेब का दरवाजा खुला था। और विधानसभा क्षेत्र की बुरी स्थिति, विधानसभा क्षेत्र की निधि, अधिकारी वर्ग, कांग्रेस-राष्ट्रवादी की ओर से हो रहा अपमान... हमारी यह सभी समस्याएं सिर्फ शिंदे साहेब ही सुन रहे थे और सकारात्मक रास्ता निकाल रहे थे। इस वजह से हम सभी विधायकों ने न्याय अधिकार के लिए यह निर्णय लेने को मजबूर किया।"

हिंदुत्व से क्यों भटके -

हिंदुत्व के मुद्दे से भटकने पर भी विधायकों ने सवाल खड़े किए है। विधायकों ने पत्र में हिंदुत्व की याद दिलाते हुए लिखा की हिंदुत्व, अयोध्या, राम मंदिर यह मुद्दे तो शिवसेना के ही हैं न? अब आदित्य ठाकरे अयोध्या में गए तब आपने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका? आपने खुद फोन पर कर विधायकों से कहा कि अयोध्या नहीं जाना है। मुंबई एयरपोर्ट से अयोध्या के लिए रवाना हुए मेरे सहित अन्य विधायकों के लगेज भी चेक-इन हो गए थे। हम विमान में बैठने ही वाले थे कि आपने शिंदे साहेब को फोन कर बोला कि विधायकों को अयोध्या जाने मत दीजिए। जो गए हैं, उन्हें वापस लेकर आओ। शिंदे साहेब ने हमें तत्काल कहा कि सीएम साहेब का फोन है कि विधायकों को अयोध्या नहीं जाने देना है। राज्यसभा चुनावों में शिवसेना का एक भी वोट क्रॉस नहीं हुआ था तब विधान परिषद के चुनाव सामने आने पर हम पर इतना अविश्वास क्यों दिखाया गया? हमें रामलला के दर्शन क्यों नहीं करने दिए गए ?"

कांग्रेस-एनसीपी के काम हो रहे -

"साहेब, जब हमें वर्षा बंगले पर प्रवेश नहीं मिल रहा था, तब हमारे सच्चे विरोधी कांग्रेस और राष्ट्रवादी के लोग आपसे नियमित मिल रहे थे। अपने विधानसभा के काम निपटा रहे थे। निधि मिलने के पत्र दिखाकर खुश हो रहे थे। भूमिपूजन और उद्घाटन कर रहे थे। आपके साथ खींचे गए फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे थे। उस समय हमारे विधानसभा क्षेत्र के लोग पूछते थे कि मुख्यमंत्री हमारे हैं फिर हमारे विरोधियों को निधि कैसे मिल रही है? उनके काम कैसे हो रहे हैं? आप हमसे मिल ही नहीं रहे थे, तब हम अपने मतदाताओं को क्या जवाब दें, यह सोचकर ही हम विचलित हो जाते।"

एकनाथ शिंदे हिंदुत्व को आगे बढ़ा रहे -

"इन विषम परिस्थितियों में भी शिवसेना के माननीय बालासाहेब ठाकरे, धर्मवीर आनंद दिघे साहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ा रहे एकनाथ शिंदे ने हमारा अनमोल साथ दिया। प्रत्येक विषम परिस्थिति के लिए हमारे लिए उनका दरवाजा खुला था, आज भी है और आने वाले कल भी रहेगा, इसी विश्वास के साथ हम शिंदे साहेब के साथ हैं। कल आपने जो बोला, वह काफी भावुक था। लेकिन उसमें हमारे मूल प्रश्नों का जवाब नहीं मिला। इस वजह से हम अपनी भावनाओं को आप तक पहुंचाने के लिए यह भावनात्मक पत्र लिख रहे हैं।"

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