हरदोई: 6 बरस से अनवरत 'कायाकल्प' से सम्मानित संडीला सीएचसी अधीक्षक का इस्तीफा, 7 गम्भीर बिन्दुओं पर कटघरे में सीएमओ...

6 बरस से अनवरत कायाकल्प से सम्मानित संडीला सीएचसी अधीक्षक का इस्तीफा, 7 गम्भीर बिन्दुओं पर कटघरे में सीएमओ...
X
स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के जिले का हवाल: 'रोगी कल्याण समिति' की निधि से सुधरी है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की 'सेहत', संडीला भारत सरकार की 'आकांक्षात्मक' योजना में नॉर्थ जोन में अव्वल, फिर भी सामान्य दवाइयों तक की उपलब्धता का संकट, जरूरी पद रिक्त, सुरक्षा धेला भर नहीं...

ब्रजेश 'कबीर', हरदोई। संडीला सामुदायिक केन्द्र के चर्चित अधीक्षक डॉ. शरद वैश्य ने सोमवार को त्यागपत्र देकर सेहत महकमे में तहलका काट दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रोहतास कुमार को 7 बिन्दुओं पर लिखे इस्तीफे में डॉ.शरद वैश्य ने महकमे की ’सेहत’ का जबर ’पोस्टमार्टम’ किया है। इधर, सीएमओ डॉ.रोहतास ने डॉ.वैश्य के आरोपों को कंडम करते हुए ’रार’ खड़ी करना उनकी पुरानी आदत बताया। फिलहाल, देख लेते हैं संडीला सीएचसी अधीक्षक के पद से त्यागपत्र की बिंदुवार वजहें।

डॉ.शरद वैश्य ने पहले बिंदु में कहा है, अस्पताल संचालन में सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाली दवाइयों और सामग्री (पूरी फेहरिस्त लिखी है) की आपूर्ति सीएमएसडी स्टोर से मांग के अनुरूप और समय से नहीं होती, लिहाजा मरीजों और अस्पताल स्टाफ के लिए स्थिति असहज करने वाली होती है। आरोप लगता है कि जिले पर दवाइयां और सामग्री उपलब्ध है, पर हम लाभ नहीं देते। कहा है, संडीला सीएचसी एक सक्रिय प्रथम संवर्धन इकाई है।

यहां महीने में 8 से 10 सिजेरियन प्रसव कराए जाते हैं, जो स्पाइनल एनेस्थीसिया से कराए जाते हैं। लेकिन, स्पाइनल एनेस्थीसिया ड्रग और निडिल सहित बाकी सामग्री मुहैया नहीं कराई जाती। इस तथ्य का मिलान सीएमएसडी स्टोर से किया जा सकता है और खरीद के लिए जेएसएसके मद में कोई वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

दूसरे बिंदु में कहा है, संडीला ब्लॉक भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ’आकांक्षात्मक’ विकास खण्ड में शुमार है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्टाफ की शत प्रतिशत नियुक्ति के लिए तमाम बार मौखिक और लिखित अनुरोध किया, पर नतीजा ठनठन गोपाल रहा और राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में झाड़ फटकार हमारी होती है। मेडिकल ऑफिसर, आयुष मेडिकल ऑफिसर, आरबीएसके मेडिकल ऑफिसर, चीफ फार्मासिस्ट और हेल्थ सुपरवाइजर की एक-एक पोस्ट, सीएचओ की 10, एएनएम की दो, लेडी हेल्थ विजिटर की चार और बीएचडब्ल्यू (पुरुष) की सात पोस्ट रिक्त हैं।

तीसरा बिंदु तो बहुत ही अटपटा है। डॉ.वैश्य ने बताया है, 'आकांक्षात्मक' विकास खण्ड में होने के नाते एनसीडी के तहत लक्षित आबादी की उच्च रक्तचाप और मधुमेह की शत प्रतिशत स्क्रीनिंग अनिवार्य रूप से होनी थी। ध्यान दिलाया, इस ओर सीएमओ ने उन्हें कई दफे बैठकों मौखिक चेतावनी जारी की। लेकिन, उन्होंने जांच के लिए जरूरी ग्लूकोस्ट्रिप्स मुहैया कराने को कई मर्तबा मौखिक और लिखित अनुरोध भेजा, तो बोल नहीं फूटा सीएमओ का। फिर भी उन्होंने निजी प्रयास से सीएचओ की पगार और पीबीआई से ग्लूकोस्ट्रिप्स खरीद कर लक्ष्य हासिल किया गया। इससे सीएचओ में नाराजगी है।

चौथे बिंदु में डॉ.साफ सफाई पर आए हैं। कहा, हर स्वास्थ्य इकाई पर साफ सफाई और लॉन्ड्री की व्यवस्था के लिए एक फर्म अनुबंधित है। पर, 18 जुलाई को सीएमओ के मौखिक निर्देश से फर्म का अनुबंध खत्म कर दिया गया और उसे किसी भी भुगतान पर रोक लगा दी गई। लेकिन, कोई नया अनुबंध नहीं होने से ये काम रोगी कल्याण समिति के बजट से कराया जा रहा है, लेकिन मुस्तकिल इंतजाम नहीं हुआ तो समिति का बजट ऊंट के मुंह में जीरा होगा।

पांचवां बिंदु सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ का है। कहा है, सर्वोच्च न्यायालय और मुख्य सचिव ने चिकित्सा इकाइयों पर सुरक्षा तंत्र सुदृढ़ करने का आदेश दे रखा है। निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन इस ओर उत्तर प्रदेश सैनिक कल्याण निगम से गार्ड के रूप में पूर्व सैनिकों की नियुक्ति के बजट का प्रावधान कर चुके हैं। लेकिन, यहां निजी फर्म के सुरक्षा उपकरण विहीन गार्ड सीएमओ ने हायर किए हुए हैं। बिना वर्दी के गार्ड ओपीडी और वार्ड में अलग से नहीं पहचाने जाते, इसलिए व्यवस्था भी नहीं बना पाते। अस्पताल में अशांति बनी रहने से महिला डॉक्टर और स्टाफ नाइट ड्यूटी में आनाकानी करते हैं। यहां तक डिलीवरी केस रात में होने पर भी लेबर रूम में ड्यूटी से परहेज करती हैं।

छठवें बिंदु में डॉ.शरद वैश्य ने सीएमओ पर बहुत बड़ी वित्तीय अनियमितता का आरोप शालीनता से लगाया है। कहा है, भवन अनुरक्षण, जल सम्पूर्ति और विद्युत रखरखाव को अनुबंधित फर्म धेला भर का काम नहीं कर रही, ना भवन अनुरक्षण का और ना विद्युत रखरखाव का। नतीजतन, ये काम भी सीएचसी को रोगी कल्याण समिति के बजट से कराए जा रहे हैं, लेकिन आगे यह भी संभव नहीं होगा।

...थोड़ी 'इज्जत' हम भी 'डिजर्व' करते हैं सीएमओ साहब

संडीला सीएचसी अधीक्षक डॉ.शरद वैश्य ने सीएमओ डॉ. रोहतास कुमार पर मनमानी की पराकाष्ठा का आरोप लगाया है। अंतिम बिंदु में कहा है, राष्ट्रीय कार्यक्रमों के नोडल अधिकारियों को बार बार बदला है। कुछ कार्यक्रमों का नोडल अधिकारी अत्यंत ही कनिष्ठ अधिकारी को बनाया गया है, जिसकी कोई सूचना अधीनस्थ अधिकारियों को नहीं दी गई है। इन हालात में कार्यक्रम संचालन और रिपोर्टिंग में बहुत अड़चने आती हैं। अंत में यह कहते हुए, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ’आकांक्षात्मक’ योजना में नॉर्थ जोन में संडीला अव्वल रहा। राजकीय और चिकित्सकीय दायित्वों में उदासीनता की कोई प्रविष्टि नहीं मिली। लेकिन, इस कदर प्रतिकूल हालात में सीएचसी की सेहत वह ज्यादा दिन ठीक नहीं रख सकते।

जिलाधीश रहे पुलकित खरे से टकराव के चलते चर्चा में आए थे डॉ.शरद वैश्य

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के भ्रमण दल द्वारा सीएचसी और आयुष्मान आरोग्य मंदिर सोम की व्यवस्थाओं पर संतोष जताया था, लेकिन, आपने (सीएमओ) 'मेरे द्वारा उपरोक्त टीम के आगमन की कोई व्यवस्था नहीं कराया जाना राजकीय कार्यों में उदासीनता परिलक्षित करता है', स्पष्टीकरण मांग लिया, जो अक्तूबर की पहली तारीख को प्रेषित किया जा चुका है... विभागीय प्रोन्नति के लिए आवश्यक वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट रिपोर्टिंग अधिकारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.अनिल कुमार पंकज को शासन को भेजी जानी थी। लेकिन, आपने मना किया डॉ.पंकज को। सितंबर 25 को मुख्यालय कार्यालय पर मिलकर अनुरोध किया, पर एसीआर अभी तक अग्रसारित नहीं हुई है। पिछले बरस भी आपने एसीआर देरी से भेजी, जिसकी वजह से सूचना विभागीय पोर्टल पर अभी तक लम्बित है, नतीजे में पिछले महीने लेबल 3 से लेबल 4 के स्कैप में उनका नाम नहीं आ पाया। यह आशंका जताते हुए कि, भविष्य में वह विभागीय प्रोन्नति से वंचित हो सकते हैं, लिहाजा सीएचसी अधीक्षक पद पर काम करने में असमर्थ हैं। जिलाधीश रहे पुलकित खरे से टकराव के चलते चर्चा में आए डॉ.शरद वैश्य ने 'लकुटि कमरिया' (त्यागपत्र) सीएमओ डॉ. रोहतास कुमार को भेज दिया।

Tags

Next Story