नूपुर शर्मा के पक्ष में रिटायर्ड जज, नौकरशाहों ने लिखा सीजेआई को पत्र, कहा- कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी
नईदिल्ली। पैगंबर पर विवादित बोल को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नूपुर शर्मा के खिलाफ की गई टिप्पणी का मामला बढ़ता जा रहा है। आज मंगलवार को देश के 57 रिटायर्ड जज और 77 नौकरशाहों एवं 25 सैन्य अधिकारियों ने एक खुला पत्र लिखकर विरोध जताया है। उन्होंने चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना को लिखे इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारडीवाला की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
ये पत्र त्र फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशियल जस्टिस, जेएंडके एंड लद्दाख एट जम्मू' की ओर से लिखा गया है। इस पत्र में मांग की गई है की जस्टिस सूर्यकांत के रोस्टर को उनके रिटायर तक हटा दिया जाए। साथ ही नुपुर शर्मा मामले में सुनवाई के दौरान की गई उनकी टिप्पणियों और आदेशों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए।
पत्र में कहा गया की न्यायपालिका के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों की ऐसी कोई मिसाल नहीं है। ये सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर अमिट निशान है। इसमें सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि इसका लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकता है।
बता दें की सुप्रीम कोर्ट में गत 1 जुलाई को नूपुर शर्मा मामले में सुनवाई हुई थी। जिस दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारडीवाला की बेंच ने नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान के लिए फटकार लगाई थी। साथ ही देश भर में हुई हिंसा और उदयपुर हत्याकांड के लिए नूपुर शर्मा को ही जिम्मेदार ठहराया था। इन टिप्पणियों के साथ ही शीर्ष कोर्ट ने नुपुर शर्मा के खिलाफ देशभर दर्ज एफआईआर को एकजुट कर दिल्ली स्थानांतरित करने और यहीं सुनवाई की मांग वाली अर्जी खारिज कर दी थी। नुपुर ने इस याचिका में अपनी जान को खतरा बताते हुए सारे केस दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया था।